साइबर फ्रॉड से बचा सकता है डिजिटल सिग्नेचर, जानिए क्या है इसे बनाने का प्रोसेस, कितना लगेगा चार्ज
डिजिटलाइजेशन के दौर में पर्सनल और फाइनेंशियल डेटा को सेफ रखना बड़ा चैलेंज हैं. इसी के चलते डिजिटल सिग्नेचर का चलन तेजी से बढ़ रहा है, ताकि डॉक्यूमेंट को वेरिफाई किया जा सके. डिजिटल सिग्नेचर एक सिक्योर लॉगिन ID और पासवर्ड होता है. इसका इस्तेमाल डॉक्यूमेंट को वेरिफाई करने के लिए किया जाता है. इसके जरिए आप साइबर फ्रॉड और हैकिंग से कुछ हद तक बच सकते हैं.
डिजिटल सिग्नेचर भारत में बिजनेस का एक अनिवार्य हिस्सा है. बेशक इसे कॉपी करना या बनाना मुश्किल होता है, लेकिन फिर भी साइबर क्रिमिनल्स लोगों के अकाउंट में सेंधमारी करने के लिए नए-नए हड़कंडे आजमाते हैं. लिहाजा हमें डिजिटल सिग्नेचर को लेकर भी कई सावधानियां बरतनी चाहिए.
आइए जानते हैं डिजिटल सिग्नेचर कौन बनवा सकता है? इसे बनाने का प्रोसेस क्या है? डिजिटल सिग्नेचर से कौन-कौन से फायदे होते हैं? इसे लेकर कौन-कौन सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए:-
डिजिटल सिग्नेचर क्या है?
डिजिटल सिग्नेचर आपकी पहचान को साबित करता है. किसी डॉक्यूमेंट पर आप पेन से सिग्नेचर करते हैं. जबकि डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल इंटरनेट के जरिए भेजे जाने वाले डॉक्यूमेंट को वेरिफाई करने के लिए किया जाता है. कॉमर्स, फाइनेंशियल लेन-देन, डिस्ट्रिब्यूशन जैसे कामों के लिए डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया जाता है. डिजिटल सिग्नेचर से ही डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट मिलता है.
कौन बना सकता है डिजिटल सिग्नेचर?
डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट कोई भी व्यक्ति बना सकता है. इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर कानूनी रूप से वैध लेन-देन करने के लिए जारी किया जाता है. कोई भी संस्था डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं कर सकती. किसी संगठन का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति को कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट मिलता है.![]()
कितने टाइप के होते हैं डिजिटल सिग्नेचर?
डिजिटल सिग्नेचर 3 टाइप के होते हैं:-
क्लास 1- इस कैटेगरी में डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट पर्सनल इस्तेमाल के लिए किये जाते हैं. इसका इस्तेमाल कम मूल्य के लेनदेन में किया जाता है. इसमें पहचान के सबूत की जरूरत नहीं होती है.
क्लास 2- दूसरी कैटेगरी में डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट का इस्तेमाल विभिन्न सरकारी संस्थानों जैसे आयकर विभाग, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय आदि में डॉक्यूमेंट्स फाइल करने के लिए किया जाता है.
क्लास 3- तीसरी कैटेगरी में रेलवे, बैंक, सड़क परिवहन, बिजली बोर्ड जैसे सरकारी विभागों ई-नीलामी या ई-टेंडरिंग के लिए डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल होता है.
डिजिटल सिग्नेचर के फायदे?
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डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट की वैलिडिटी कब तक होती है?
डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट की वैलिडिटी आम तौर पर 1 से 3 साल तक होती है. कुछ डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट 1, 2 या 5 साल के लिए भी वैलिड रहते हैं.
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कैसे बनता है डिजिटल सिग्नेचर?
डिजिटल सिग्नेचर के लिए आपको अप्लाई करना होता है. आप कंट्रोलर ऑफ सर्टिफाइंग अथॉरिटी को अपना एप्लिकेशन दे सकते हैं. अधिकारी आपकी जानकारी और डॉक्यूमेंट वेरिफाई करेंगे. फिर आपको डिजिटल सिग्रेचर मिल जाएगा. इसके बाद आपके कागज को आसानी से वेरीफाई किया जा सकता है. इनकम टैक्स, ई-फाइलिंग और कॉरपोरेट मंत्रालय के पोर्टल में डिजिटल सिग्रेचर मान्य है.
इसके लिए कौन-कौन से डॉक्यूमेंट जरूरी?
अगर आप डिजिटल सिग्नेचर के लिए अप्लाई कर रहे हैं, तो आपको DSC की क्लास, वैलिडिटी, साइन या एनक्रिप्ट दोनों में से किसकी जरूरत है, इसकी जानकारी देनी होगी. जिसने अप्लाई किया है उसकी डिटेस, GST नंबर, डिक्लेरेशन, आईडी प्रूफ देना होगा.
डिजिटल सिग्नेचर बनवाने में कितनी लगती है फीस?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, औसतन 1000 रुपये में आपका डिजिटल सिग्रेचर बनकर तैयार हो जाता है. देश में ऐसी कुछ कंपनियां हैं जिनको डिजिटल सिग्नेचर के लिए अधिकृत किया गया है. आप पैसे को डिमांड ड्राफ्ट या चेक के रूप में पेमेंट कर सकते हैं.
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डिजिटल सर्टिफिकेट को बरतें ये सावधानियां
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डिजिटल सिग्नेचर के लिए ऑनलाइन अप्लाई कैसे करें?
स्टेप 1: सबसे पहले आपको edigitalsignature.org वेबसाइट पर जाना होगा.
स्टेप 2: इसके बाद होमपेज पर DSC (डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट) एप्लीकेशन फॉर्म पर पूछी गयी सभी डिटेल्स ध्यानपूर्वक भरें.
स्टेप 3: इसके बाद आपको अपने DSC एप्लीकेशन के लिए ऑनलाइन पेमेंट करना होगा.
स्टेप 4: डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट रजिस्ट्रेशन अधिकारियों में से एक आपके DSC एप्लीकेशन को प्रोसेस करेगा.
स्टेप 5: इसके बाद कुछ ही घंटो में आपको रजिस्टर्ड ई-मेल पर अपना DSC सर्टिफिकेट मिल जाएगा.
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