विश्वविद्यालय के लोक संगीत विभाग में विशेष व्याख्यान, लोक कही का हो संगीत से अछूता नहीं है
जम्मू की लोक कलाविद् प्रो. उषा बगाती ने दिया व्याख्यान
छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 खैरागढ़// इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के लोक संगीत विभाग में ‘‘लोक जीवन में कला : जम्मू एवं छत्तीसगढ़ के विशेष संदर्भ में’’ विषय पर व्याख्यान संपन्न हुआ।
कुलपति प्रो.डॉ. लवली शर्मा के मार्गदर्शन में आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में जम्मू की लोक कलाविद् प्रो.उषा बगाती उपस्थित थीं। सर्वप्रथम लोक संगीत एवं कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो. राजन यादव ने शॉल एवं सहायक प्राध्यापक डॉ. दीपशिखा पटेल ने श्रीफल भेंट कर प्रो. उषा बगाती का स्वागत किया।
व्याख्यान में प्रो. बगाती ने विद्यार्थियों को बताया कि लोक कहीं का भी हो संगीत से अछूता नहीं है। लोकनृत्य, लोकसंगीत और लोकवाद्य के बिना लोक संस्कार पूरा नहीं होता है। आरूगपन लोक ने ही बचा रखा है। छत्तीसगढ़ का संस्कार गीत हो या जम्मू–कश्मीर सहित भारत के अन्य प्रान्तों की गीत, सबमें एकरूपता है। विवाह संस्कार में आज भी गीत गाये जाते हैं, नृत्य करते हैं।
आगे बताया की भाषा और वाद्ययंत्र भले अलग हों, वेशभूषा में भिन्नता हो, लेकिन भाव में एकात्मकता है। बेटी विदा के कारुणिक दृश्य का वर्णन कहीं के लोक गीत में हम सहजता से प्राप्त करते हैं। लोक कलाएँ खेत-खलिहानों में बिखरी पड़ी है। आवश्यकता है उन कलाओं को सहजने की।
चकाचौध में कला की मुहने पर हो रहा आघात
यह भी सत्य है कि वर्तमान के चकाचौंध में इन कलाओं की मुहाने पर आघात हो रहा है। उपभोक्तावादी संस्कृति ने हमारी पारंपरिक कलाओं को प्रभावित किया है। इसलिए इन कलाओं का संरक्षण आवश्यक है। प्रो. राजन यादव ने कहा कि लोककला वीणा के तार की तरह है, एक छोर को छू देने से पूरा तार झनझना उठता है। उसी प्रकार हमारे लोक में प्रचलित लोकसंगीत, लोक संस्कार, लोक परम्पराएँ हैं। प्रो. यादव ने आगे कहा कि प्रो. बगाती ने सरलतम ढंग से प्रभावकारी शैली में विषयगत जानकारी दी है, वह अति महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम में विभाग के अतिथि शिक्षक डॉ. राजकुमार पटेल, डॉ. विधा सिंह राठौर, डॉ. परमानंद पाण्डेय, शोध सहायक डॉ. बिहारी लाल तारम, संगतकार डॉ. नत्थू तोड़े व रामचन्द्र सर्पे सहित शोधार्थी एवं स्नातक व स्नातकोत्तर के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन सहायक प्राध्यापक डॉ. दीपशिखा पटेल ने किया।
Special lecture in the Folk Music Department of the University,
