उदयपुर कांजी हाउस की बदहाली, जिम्मेदारों की लापरवाही से तीन गायों की मौत, ग्रामीणों में नाराज़गी
छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 छुईखदान /उदयपुर // खैरागढ़-छुईखदान-गंडई ज़िले के ग्राम उदयपुर स्थित कांजी हाउस की हालत दयनीय हो चुकी है। भारी बारिश और बदइंतजामी के चलते पिछले दिनों तीन गायों की मौत हो गई है। तस्वीरें साफ़ दिखाती हैं कि गायें कीचड़ और गंदगी में फंसी हुई हैं, बैठने तक की जगह नहीं है।
क्षमता से चार गुना ज़्यादा भरी गई है गायें
जहां 20–25 गायों को रखने की जगह है, वहां 100 से अधिक गायें रखी गई हैं। ना चारा है, ना शेड, ना समतल ज़मीन। थककर बैठने वाली गायें अक्सर दूसरी गायों के पैरों तले दबकर दम तोड़ देती हैं।
जिम्मेदारों की घोर लापरवाही
पिछले एक माह से ग्राम सुरक्षा समिति और ग्राम पंचायत स्तर पर बैठकें तक नहीं की गईं। न तो गायों की चराई का इंतज़ाम हुआ, न ही ग्रामीण विषयों पर चर्चा। गायों की मौत पर जिम्मेदार ग्रामीण पूरी तरह मौन हैं।
गायों को मरने के लिए छोड़ दिया गया है..
ग्रामीणों का कहना है कि यहाँ गायों को मरने के लिए छोड़ दिया गया है। जब तक गाय मरकर सड़ने न लगे, तब तक जिम्मेदारों की आंखें नहीं खुलतीं।
ग्रामवासियों के मुताबिक, वे खुद फसल रखवाली करने पाली लगाकर गायों को चराने तक ले जाते हैं, लेकिन कांजी हाउस में लाने के बाद ना चारा, ना शेड, ना समतल जगह उपलब्ध कराई जाती है।

बीमारी का बड़ा खतरा
फिलहाल ज़िले में डायरिया का प्रकोप फैला हुआ है और दो लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में अगर कांजी हाउस की स्थिति पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया तो महामारी फैलने का खतरा और बढ़ सकता है।
“पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने गायों की सुरक्षा व सेवा के लिए गौठान योजना लागू की थी, लेकिन भाजपा सरकार आते ही इस योजना को ठप कर दिया गया। नतीजा आज सामने है – गाय के नाम पर वोट मांगने वाली भाजपा सरकार, गायों को सुरक्षित रखने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है।”
गुलशन तिवारी
जिलाध्यक्ष, युवा कांग्रेस, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई
“गायों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सबसे पहले ग्रामवासियों की होती है, जिसमें ग्राम पंचायत सहयोग करती है। गांव स्तर पर सामूहिक जिम्मेदारी निभाए बिना केवल प्रशासन पर आरोप लगाना समाधान नहीं है।”
रोशन मांडले
सरपंच, ग्राम पंचायत उदयपुर


