कच्चे तेल की कीमतों में अंतर, पेट्रोल-डीजल सस्ता, नए रेट लागू!
New Delhi : अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है, जिसके चलते पेट्रोल-डीजल के दाम में उतार-चढ़ाव आ रहा है। पेट्रोलियम कंपनियों ने 20 जुलाई को पेट्रोल-डीजल का नया रेट जारी कर दिया। जारी रेट के अनुसार बिहार में पेट्रोल डीजल के दाम कम हो गए है और उत्तर प्रदेश में थोड़े से बढ़ गए है।
कच्चे तेल की बात करें तो बीते 24 घंटे में इसकी कीमतों में उछाल दिख रहा है। ब्रेंट क्रूड का भाव चढ़कर 69.28 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया है। डब्ल्यूटीआई का रेट भी बढ़त के साथ 67.34 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। सरकारी तेल कंपनियों के अनुसार, यूपी के गौतमबुद्ध नगर जिले में पेट्रोल 18 पैसे सस्ता होकर 94.75 रुपए लीटर बिक रहा है। डीजल भी 19 पैसे गिरा और 87.78 रुपए लीटर पहुंच गया है।

गाजियाबाद में पेट्रोल 19 पैसे बढ़त के साथ 94.64 रुपये लीटर पहुंच गया, जबकि डीजल 21 पैसे चढ़कर 87.41 रुपए लीटर बिक रहा है। बिहार की राजधानी पटना में पेट्रोल 28 पैसे बढ़त के साथ 105.43 रुपए लीटर हो गया तो डीजल 27 पैसे चढ़कर 91.69 रुपए लीटर बिक रहा है।
Difference in Price of Petrol-Diesel
वहीं, हाल ही में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि अगर मौजूदा वैश्विक हालात ऐसे ही बने रहे और कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा 65 डॉलर के आसपास बनी रहीं तो तीन-चार महीनों में देश में पेट्रोलियम उत्पादों की खुदरा कीमतों में कमी आ सकती है। देश में हाइड्रोकार्बन क्षेत्र पर आयोजित सबसे बड़े सेमिनार ‘ऊर्जा वार्ता-2025’ को संबोधित करते हुए पुरी ने कहा कि सरकारी क्षेत्र की सभी तेल कंपनियों के पास 21 दिनों का भंडार है। बुधवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत 67 डॉलर प्रति बैरल रहीं।
‘वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कोई कमी नहीं है। कई नए तेल विक्रेता आ गए हैं। गुयाना, अर्जेंटीना, ब्राजील जैसे गैर-पारंपरिक देशों से भारत ज्यादा तेल की खरीद कर रहा है। दूसरे पश्चिमी क्षेत्रों से भी तेल की आपूर्ति बढ़ रही है। हम पहले जिन 27 देशों से तेल खरीदते थे, अब उनकी संख्या लगभग 40 देशों तक पहुंच गई है।
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पिछले छह महीने में वैश्विक स्तर पर काफी ज्यादा अस्थिरता होने के बावजूद कीमतों में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हुआ। मुझे लगता है कि आने वाले समय में कीमतें 65-70 डॉलर प्रति बैरल के बीच में ही रहेंगी।’ रूस से तेल खरीदने पर अगर अमेरिका किसी तरह का भारी-भरकम शुल्क लगाता है तो हम उसी आपूर्ति ढांचे पर लौट जाएंगे जो यूक्रेन संकट से पहले अपनाया गया था। उस समय भारत को रूसी तेल की आपूर्ति दो प्रतिशत से भी कम थी।
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