छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 गंडई पंडरिया// गंडई की आन बान और शान टिकरीपारा वार्ड क्रमांक 12 निवासी छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार धुरवा राम मरकाम ने आज रविवार तड़के सुबह 7:00 बजे अपने नवनिर्मित मकान में अंतिम सांस ली वह लगभग 71 वर्ष के थे। वह अपने पीछे 7 बेटियों से भरा पूरा परिवार छोड़ गए । folk artist
ज्ञात हो कि अविभाजित मध्यप्रदेश के शासनकाल में कला के क्षेत्र में अपने गीतों के दम पर देश दुनिया में नाम कमाने वाले लोक कलाकार गायक धुरवा राम मरकाम 1976 में आकाशवाणी केंद्र में गीतों की शुरुआत की और लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम दूधमोगरा संस्था में 1976 में जुड़कर कार्य किए।

उसका प्रथम गीत “आमा के डार में बोले सुघघर मैना तोर कजनैनी नैना”, गीत की शानदार प्रस्तुति दी उसके बाद लगातार प्रसिद्धि पाकर अन्य गीतों जिसमे “जतन करो धरती के संगी जतन करो रे, ये नदियां बैमान जवारा झिकत लेंगे ना, लागे रइथे दीवाना तोर बर मोरो मया लागे रहीथे, चल संगी देवता ल मनाबो, ए मोर करोंदा विलंम जाबे ना,जैसे गीतों में कलाकार धुरवा राम मरकाम ने प्रसिद्धि हासिल की है।
उन्होंने कर्मा ददरिया जस जवारा गीतों के कलाकार भी थे। आज लोक गायक मरकाम की आवाज थम गई सिर्फ उनकी यादें ही रह जाएंगे। धुरवा राम मरकाम बाद में वर्ष 1984- 85 में दुधमोंगरा संस्था से अलग होकर लोक कला मंच संस्था मया के फूल का गठन कर अपने पत्नी दुखिया बाई मरकाम के साथ काम किया। मृतक के पत्नी स्व. दूखिया बाई मरकाम भी एक जाने माने लोक गायिका थी जिसकी स्वर आज पूरे प्रदेश में चर्चित है आज भी किसी के यहां मांगलिक कार्य में सुनने को मिल जाता है। उसकी भी गीत जंगल जंगल झाड़ी झाड़ी खोजे सांवरिया,जैसे गीतों में नाम कमाकर खूब प्रसिद्ध हासिल की थी। folk artist
धुरवाराम मरकाम को गोदपुत्र ने दी मुखाग्नि
मृतक कलाकार धुरवाराम मरकाम के सात बेटियां है एक भी पुत्र नही होने के चलते अपने छोटे भाई राजू मरकाम के दिव्यांग पुत्र जिसको धुरवा राम मरकाम ने गोदनामा लिया था उन्होंने अंतिम संस्कार में मुखाग्नि दी उनके अंतिम संस्कार कवर्धा रोड स्थित मुक्तिधाम में दोपहर 1 बजे किया गया। अंतिम संस्कार में लोक कलाकार लेखक गीतकार पार्षद मीडिया कर्मी एवं जनप्रतिनिधि व्यापारी सहित समाज के एवं मित्रगण उपस्थित रहे।
गुंडरदेही विधायक ने धुरवा राम मरकाम का लिया था सुध
गुंडरदेही बालोद जिले के विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद गत डेढ़ वर्ष पहले गंडई क्षेत्र के दौरे में थे जहां टिकरीपारा वार्ड नंबर 12 निवासी धुरवा राम मरकाम की वस्तुस्थिति जानने उनके निवास गए हुए थे उनका हालचाल जाना और उनसे रूबरू अवगत हुए तभी उनकी जर्जर मकान को देखकर नगर पंचायत सीएमओ को निर्देशित किया गया था और धुरवा राम मरकाम के आवास की फाइल लेकर स्वम मंत्रालय लाकर स्वीकृति कराया क्योंकि कलाकार की भावनाओं को एक कलाकार ही अच्छे से समझते हुए कुंवर सिंह निषाद ने राजिम दुर्ग-भिलाई सहित अन्य कलाकारों से चंदा इकट्ठा कर लगभग 70000/ सत्तर हजार का सहयोग भी मरकाम को प्रदान किया गया था।
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सोशल मीडिया में सुबह से दोपहर तक चला श्रद्धांजलि का कार्यक्रम।
मृतक धुरवा राम मरकाम की मृत्यु की सूचना की जानकारी जैसी ही लोगों को मिली सुबह से दोपहर तक लोगों ने व्हाट्सएप सोशल मीडिया ग्रुप में दिन भर श्रद्धांजलि का दौर चलता रहा छत्तीसगढ़ शासन के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने भी उनको सोशल मीडिया ग्रुप में भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
राजीव गांधी लोक कला सम्मान से भी नवाजा गया था धुरवा राम मरकाम
जानकारी के अनुसार लोक गायक स्वर्गीय धुरवा राम मरकाम को विगत वर्ष 2002 में राजीव गांधी लोककला सम्मान राज्यपाल पुरस्कार मुख्यमंत्री पुरस्कार से भी नवाजा गया था, साथ ही कला महोत्सव में भी विशेष सम्मान प्राप्त भी किया था, छत्तीसगढ़ शासन के विभिन्न कार्यक्रमों में साथ ही मध्यप्रदेश भोपाल से भी सम्मान प्राप्त मिला था, सबसे खास बात यह है कि मृतक धुरवा राम मरकाम भारत की मशहूर पटकथा लेखक नाट्य निर्देशक कवि और अभिनेता हबीब तनवीर के साथ भी कार्य किया था।
Folk artist Dhurva Ram Markam merged into Panchatatva, irreparable loss to the art sector.. left the whole family full of seven daughters

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