छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 उदयपुर // नवगठित जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में अवैध चखना दुकान व अवैध शराब का कारोबार चरम पर है. यूं तो आबकारी विभाग का काम अवैध चखना दुकान व अवैध शराब विक्रय को रोकना है परंतु मोटी कमीशन लेकर अवैध कारोबार को फलने-फूलने दिया जा रहा है. पुलिस लगातार अवैध कारोबार पर लगाम लगाने का प्रयास कर रही है और लगातार कार्यवाही भी कर रही है इसके बावजूद भी अवैध कारोबार धड़ल्ले से खुलेआम चल रहा है.
मामले को लेकर जिला युकां अध्यक्ष गुलशन तिवारी ने कलेक्टर व एसपी से शिकायत भी की है. शिकायत पत्र में युकां अध्यक्ष तिवारी ने बताया है कि खैरागढ़ शराब दुकान में पदस्थ छबिलाल गेंड्रे व छुईखदान शराब दुकान में पदस्थ लोकेश जोशी द्वारा अवैध चखना सेंटर से 100-100 रूपये अवैध वसूली कर अवैध चखना सेंटरों को बढ़ावा दिया जा रहा है जिस पर विभाग के द्वारा कोई कार्यवाही भी नहीं की जा रही है. इससे यह स्पष्ट होता है कि आबकारी अधिकारियों के संरक्षण में अवैध वसूली का काम जोरो से चल रहा है.
महीने में 5 लाख से भी अधिक वसूली केवल अवैध चखना दुकान से
शराब दुकान है जिसके अंतर्गत मुढ़ीपार, छुईखदान, खैरागढ़, गंडई व साल्हेवारा शामिल है. सभी शराब दुकानों के बाहर अवैध रूप से चखना सेंटर चल रहा है. जिले के शराब दुकानों में लगभग 150 से भी अधिक चखना सेंटर संचालित है. आबकारी विभाग के कर्मचारी के द्वारा प्रति दुकान 100 रुपये की दर से वसूली की जा रही है, इस हिसाब से प्रतिदिन 15 हजार से भी अधिक व 1 महीने मे 4 लाख 50 हजार रुपये से 5 लाख तक की वसूली सिर्फ चखना सेंटरों से हो रही है. यह वसूली कोई और नहीं बल्कि आबकारी विभाग का कर्मचारी स्वयं करता है.
नौकरी के नाम पर लाखों रुपया ऐठ रहा अबकारी विभाग
रोजगार की चाहत रखने वाले युवाओं से नौकरी लगने के पहले लाखों रुपया लेकर आबकारी विभाग में नौकरी दिया जाता है, बाद में बहाना बनाकर युवाओं को नौकरी से हटा दिया जाता है जबकि आबकारी विभाग के द्वारा इन्हीं युवाओं से अवैध वसूली व अवैध शराब कारोबार करने को कहा जाता है परंतु कार्यवाही के नाम पर नवनियुक्त युवाओं को निकाल दिया जाता है. कई बार तो ऐसा भी होता है कि जितना रुपया देकर नौकरी लगे रहते हैं उतना रुपया नहीं मिल पाता है और नौकरी से निकाल दिया जाता है.
बैरियर से आसानी से निकल रहा है मध्यप्रदेश निर्मित शराब
जिले के अंतिम छोर सालहेवारा में आबकारी बेरियर लगा हुआ है परंतु मध्य प्रदेश से आने वाले शराब पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जाती है. मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ हजारों की संया में लोगों का आना जाना है, किसी भी वाहन का किसी प्रकार से चेकिंग नहीं किया जाता है और रात में मोटी कमिशन लेकर आसानी से शराब पार करा दिया जाता है. जब बैरियर में किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जाती है तो बैरियर के नाम पर शासन के लाखों रुपये खर्च करने का क्या औचित्य है.
शराब दुकान बंद होने के समय कोचियों को आसानी से मिल जाता है शराब
पुलिस विभाग के द्वारा लगातार कार्यवाही की वजह से कोचियों के द्वारा अपने खपत के अनुसार शराब दुकान बंद होने के पहले आर्डर दे दिया जाता है जिसको शराब दुकान बंद होने के समय या शराब दुकान बंद होने के पश्चात दिया जाता है जिसके एवज में प्रति पेटी लगभग 200 रुपये का कमीशन लिया जाता है. कमीशन के लालच में अवैध शराब का कारोबार गांव गांव मोहल्ले-मोहल्ले में फल-फूल रहा है. Business of illegal tasting center and sale of liquor going on under the protection of Excise Department