छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 गंडई पंडरिया // मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय भोपाल एवं हिंदी साहित्य परिषद प्रयागराज उत्तरप्रदेश द्वारा 29 व 30 जुलाई को जनजातीय संग्रहालय भोपाल के सभागार में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका विषय था “सन्तों की वाणियाँ और संत रैदास।” उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रो.सूर्य कुमार दीक्षित ने की। मुख्य अतिथि थे प्रो.राजेश लाल मेहरा व मुख्य वक्ता थे प्रो.नंदकिशोर पांडेय। संग्रहालय निदेशक प्रो.धर्मेंद्र पारे ने प्रस्तावना और स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।
प्रथम अकादमिक सत्र के मुख्य अतिथि डॉ.पीसी लाल यादव अध्यक्षता प्रो.योगेंद्र प्रताप सिंह ने की तथा मुख्य वक्ता प्रो.बली राम कापसे थे।
डॉ. यादव ने “संत साहित्य का विकास और सम्प्रदाय संदर्भ छत्तीसगढ़” विषय पर अपना शोधपूर्ण व सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया। डॉ.यादव ने छत्तीसगढ़ के कबीरपंथ, सतनाम पंथ व रामनामी पंथ की साहित्य परम्परा का उल्लेख करते हुए पंडित सुंदर लाल शर्मा, संत बीरसिंह देव महराज, संत पवन दीवान आदि के साहित्यिक योगदान को रेखांकित किया जिसकी सराहना सभी श्रोताओं ने की।
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उल्लेखनीय है कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के ग्यारह प्रदेशों से 125 विद्वान वक्ताओं ने भाग लिया। इस अवसर पर जनजातीय संग्रहालय भोपाल एवँ हिंदी साहित्य परिषद प्रयागराज की ओर से डॉ.पीसी लाल यादव को पुष्पगुच्छ व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।