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प्रतिबन्ध भी नहीं आ रहा काम..धान के बचे हिस्से पराली को जला रहे हैं अन्नदाता

प्रतिबन्ध भी नहीं आ रहा काम..धान के बचे हिस्से को जला रहे हैं अन्नदाता
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⭕  पराली जलाने से जमीन की उपजाऊ क्षमता घट रही, पैदावारी कम होगी

छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 गंडई पंडरिया//  मनाही के बाद भी खेतों में पराली जलाने का सिलसिला थम नहीं रहा है। प्रदूषण की बढ़ती समस्या को नजर अंदाज करते हुए कुछ किसान खेतों में पराली जलाकर छोड़ दे रहे हैं। प्रशासन की ओर से इस पर सख्ती नहीं किए जाने की वजह से मनमानी चल रही है। एक नजारा सोमवार 4 दिसंबर को जिला मुख्यालय रोड पर दिखा जहाँ खेतों में पराली जलाकर छोड़ दिया गया है। देर तक यहां धुआं उठता रहा। जबकि खेतों में पराली जलाने से जमीन की उपजाऊ क्षमता कम हो रही है।

कानूनी कार्यवाही का प्रावधान फिर भी लापरवाही 

इस संबंध में आवास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 की धारा 19(5)के अंतर्गत फसल अपशिष्ट को जलाना सख्त प्रतिबंध किया गया है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के तहत खेती में कृषि अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है जिसके तहत पराली जलाने वाले व्यक्ति पर कानूनी कार्यवाही का प्रावधान है। आर्थिक दंड के रूप में दो एकड़ से कम खेत पर 2500, दो से पांच एकड़ खेत पर 5000 हजार तथा 5 एकड़ से अधिक पर 15000 हजार जुर्माना लगाया जाने का प्रावधान बताया गया है।

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हो सकती है पशु चारे की व्यवस्था

नगर से लेकर गांवंो में किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। ज्ञात हो कि 23 नवंबर को के सीजी कलक्टर गोपाल वर्मा ने किसानों से पर्यावरण सुरक्षा और गौवंश की चारे की व्यवस्था के उद्देश्य से खेतों में धान पराली जलाने पर मनाही और गौठानों में पैरादान करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि ऐसा करने से पर्यावरण स्वच्छ रहेगा और गांव के गौठान में वर्ष भर पशुओं के लिए चारा आपूर्ति हो पाएगा।

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अभियान चलाना होगा

कृषि विभाग के अधिकारी व कर्मचारी भी गांव-गांव गोष्ठी कर किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित भी किए थे। पलारी जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में भी बताए थे। कृषि विभाग की तरफ से किसानों को तमाम जानकारी उपलब्ध है। इसके बावजूद भी खेतों में पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं।प्रतिबन्ध भी नहीं आ रहा काम..धान के बचे हिस्से को जला रहे हैं अन्नदाता

सभी के लिए हानिकारक

इस संबंध में कृषि विभाग की उपसंचालक ने भी बताया था कि पराली जलाने से भूमि की उपजाऊ क्षमता कम होती है। लाभदायक कीट भी खत्म हो जाते हैं। वायु प्रदूषण का कारण बनती है। इससे मनुष्य गौवंश, पशु, पक्षी सभी को विभिन्न प्रकार की बीमारियां होती हैं। इसका ज्वलंत उदाहरण दिल्ली, पंजाब, हरियाणा जैसे शहरों में गंभीर समस्या देखने को मिल रही है। बैठक के दौरान खेतों में पलारी जलाने पर अधिकारियों को कार्रवाई करने की बात कहकर और जुर्माना वसूलने के लिए निर्देशित किया गया था। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही नहीं कर पा रहे हैं।


कार्रवाई की जाएगी..
मैं तत्काल पटवारी को भेज कर कार्रवाई के लिए बोलती हूं। पराली जलाने पर सख्त प्रतिबंध है। जुर्माना का भी प्रावधान निर्धारित है।

रेणुका रात्रे, एसडीएम गंडई


Rohit dewangan-gandai
रिपोर्ट : रोहित देवांगन, गंडई
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