छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 खैरागढ़ // जिले में 30 जुलाई को गौ तस्करी के मामले में नया मोड़ सामने आया है। दरअसल, 5 नवंबर को खैरागढ़-छुईखदान-गंडई के पुलिस अधीक्षक त्रिलोक बंसल ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान गौ तस्करी गौ तस्करी के मामले में महाराष्ट्र के फरार आरोपी मनोहर मनगटे की गिरफ्तारी की जानकारी दी थी। इसके साथ ही उन्होंने मुढ़ीपार के सरपंच प्रतिनिधि घनश्याम सिन्हा को मवेशी तस्करों को मवेशी उपलब्ध कराने में संलिप्त पाया और उनकी गिरफ्तारी की बात कही। इसके बाद से यह मामला और भी गरमा गया है। घनश्याम सिन्हा की गिरफ्तारी की खबर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही जिले के सिन्हा समाज में हड़कंप मच गया। समाज के लोगों ने पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठाया है।
बकायदा गांव में बैठक.. गांव वालों ने सहमति जताई
आज 6 नवंबर को, फारेस्ट रेस्ट हाउस में जिला सिन्हा समाज के कई प्रमुख पदाधिकारी एकत्र हुए और उन्होंने इस मामले पर प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की। प्रेस कांफ्रेंस में जिला अध्यक्ष दीनदयाल सिन्हा, महामंत्री नरोतम सिन्हा, भीखम सिन्हा और मंडल अध्यक्ष कुम्भलाल सिन्हा ने पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोला। कहा कि गॉव में लावारिश मवेशियों की संख्या बढ़ गई थी और यह मवेशी किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे थे। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए बकायदा गांव में एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि इन लावारिश मवेशियों को सुरक्षित जंगल में चरवाहे के पास छोड़ा जाएगा। इस पर गांव वालों ने सहमति जताई और इसके लिए बाकायदा लिखा-पढ़ी भी की गई लेकिन, जब गांव वाले मवेशियों को जंगल में छोड़ने गए, तो पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। यह कदम विवादास्पद साबित हुआ और अब सिन्हा समाज के लोग इसे पुलिस की निराधार कार्यवाही मान रहे हैं।
इस बीच, मुढ़ीपार के सरपंच प्रतिनिधि घनश्याम सिन्हा ने अपनी गिरफ्तारी की खबर को झूठा और निराधार बताया। उनका कहना है, “मेरी गिरफ्तारी नहीं हुई है, और न ही पुलिस ने मुझसे इस मामले में कोई जानकारी है। बिना जांच और बिना मेरे पक्ष को सुने पुलिस ने मुझ पर आरोप लगाए हैं, जो मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाली बात है।” उन्होंने कहा कि वह इस पूरे मामले में किसी भी प्रकार से शामिल नहीं हैं और यह पूरी तरह से झूठा आरोप है।
वही जिला सिन्हा समाज के नेताओं ने पुलिस की कार्रवाई को अत्यधिक मनगढ़ंत और बिना ठोस प्रमाण के बताया। उनका कहना है कि यह समाज को बदनाम करने की एक साजिश हो सकती है। इसके विरोध में उन्होंने कानून के तहत अपना पक्ष रखने की बात की और साथ ही कलेक्टर से अपील की कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाए।
बता दें की 30 जुलाई को पुलिस अधीक्षक ने प्रेसवार्ता कर अंतरराज्यीय गौ तस्करी का पर्दा फ़ाश किया था। जिस मामले मे 5 नवंबर को एक आरोपी को और गिरफ्तार कर पुलिस ने अब तक 10 लोगों के खिलाफ कार्यवाई की बात कह रही है।
आगे इस मुद्दे में कौन सा मोड़ आएगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल यह मामला जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। पुलिस और सिन्हा समाज दोनों ही अपनी-अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं।
गांव में मवेशियों को जंगल में छोड़ने का फैसला सामूहिक सहमति से लिया गया था, ताकि वे गांव के खेतों में आकर फसलों को नुकसान न पहुंचाएं। घनश्याम सिन्हा का कहना है कि इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है, और पुलिस ने बिना ठोस आधार के उन्हें फंसा दिया है। उन्होंने इस पूरी कार्यवाही को अत्यधिक दुर्भाग्यपूर्ण और अनुचित बताया
धनश्याम सिन्हा ( पीड़ित सरपंच प्रतिनिधि) |
जिला सिन्हा समाज के नेताओं ने पुलिस की कार्रवाई को अत्यधिक मनगढ़ंत और बिना ठोस प्रमाण के बताया। उनका कहना है कि यह समाज को बदनाम करने की एक साजिश हो सकती है। इसके विरोध में उन्होंने कानून के तहत अपना पक्ष रखने की बात की और साथ ही कलेक्टर से अपील की कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाए।
दीनदयाल सिन्हा (जिला अध्यक्ष सिन्हा समाज) |
New twist in cow smuggling case.. Sinha community came forward.. raised questions on the action