छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 गंडई पंडरिया // लावारिस मवेशियों की बढ़ती संख्या से नगरवासियों एवं क्षेत्र के ग्रामवासियों के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है जिसके कारण यातायात भी प्रभावित हो रही है। नगर में सुबह से शाम तक लावारिस मवेशी घूमते रहते हैं इन मवेशियों के मालिक इनको खुला छोड़ देते हैं फिर यह मवेशी शाम रात तक नगर के गली मोहल्लों के सड़कों पर झुंड में घूमते एवं बैठे नजर आते हैं और वाहनों के लिए मार्ग अवरोधक बनते हैं नगर पंचायत के जनप्रतिनिधियों अधिकारी कर्मचारी को जानकारी होने के बाद भी आंख बंद कर अनजान बैठे हुए है। लावारिश मवेशियों से स्थानीय निवासियों के साथ साथ दुकानदारों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
लावारिश मवेशियों की व्यवस्था और कानून लागू करने कोर्ट की फटकार
छत्तीसगढ़ की नेशनल एवं स्टेट सड़कों पर लावारिस मवेशियों के घूमने को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर भी की थी कहा था कि कई सालों से कानून बने हैं लेकिन उन्हें अब तक लागू नहीं किया गया है कोर्ट ने अपर सचिव की अध्यक्षता में समिति बनाने का निर्देश दिया था इस समिति ने केंद्र और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अफसर भी शामिल होंगे। सड़कों पर लावारिस पशुओं के विचरण से लगातार हो रहे हादसों को लेकर दायर जनहित याचिका पर जस्टिस की डिवीजन बेंच में सुनवाई भी हुई थी, ऐसा जानकारी भी सुनने में सामने आया है।

कांजी हाउस बंद इसीलिए बड़ी और परेशानी
नगर में विचरण करने वाले लावारिस मवेशियों एवं पालतू पशुओं की समस्या से निजात दिलाने के लिए नगर पंचायत स्तर में कांजी हाउस निर्माण कराया गया था जहां पर लावारिस घूम रहे पशु पालक एवं लावारिस मवेशियों से पीड़ित व्यक्तियों के द्वारा कांजी हाउस में लाकर मवेशियों को सुपुर्द किया जाता था जहां पर प्रति मवेशी के हिसाब से शुल्क एवं प्रतिदिन चारे का शुल्क भी निर्धारित किया गया था जिससे मवेशी मालिको पर कुछ हद तक नियंत्रण था अब तो बिल्कुल ही नहीं है, क्योंकि विगत 5 से अधिक सालो पहले सरकार ने निकाय क्षेत्र में कांजी हाउस को बंद करवा दिया है।
शासन की रोका छेका अभियान की खुली पोल
नगर की सड़कों पर मवेशियां कम होने का नाम ही नहीं ले रहे है, नगर पंचायत पहले ही लावारिश मवेशियों की पहचान कर लगभग साल भर पहले जिस समय तत्कालीन सीएमओ प्रमोद शुक्ला थे उस समय खैरागढ़ से काऊ केचर मंगवाकर नगर के चौक चौराहों से मवेशियों को पकड़कर भडभड़ी जंगल के समीप पुराने गार्डन में अपने सुरक्षा में लिया था, लेकिन कुछ माह पहले से स्थिति फिर से निर्मित हो गई है और सड़कों पर अब मवेशियों का फिर से कब्जा हो चुका है मवेशियों की वजह से शहर के मुख्य मार्ग में चलने वाले राहगीरों, वाहन चालक परेशान हैं। मवेशियों के पकड़े जाने के बाद भी सड़कों पर मवेशियों के जमावड़ा से पालिका भी हैरान है।
जानकारों के मुताबिक आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से चरने के लिए छोड़े गए मवेशी भोजन की तलाश में यहां आ रहे हैं। या स्थानीय मवेशी मालिक गाय के दूध दोहन के बाद चरने के लिए बाजार क्षेत्र में छोड़ देते है। जिससे स्थिति जस की तस बनी हुई है।
द्वारिका यादव लोक गायक एवं रिटायर्ड प्रधानपाठक का कहना है कि लावारिस मवेशियों के लिए गौठानो की व्यवस्था हो, जहा पशुओं को एकत्र किया जा सके, एवं पशुमालिक को अपने पशु की देखभाल खुद करना चाहिए ऐसे मवेशियों के लिए कांजी हाउस की व्यवस्था हो जहां पर एक निर्धारित शुल्क जमा करें जिससे मवेशी मालिक को भी समझ में आए। लावारिस मवेशियों से किसानों के साथ साथ लोगो को भी परेशानी हो रही है और रोड में बैठे रहने से दुर्घटना भी बढ़ रही है, इस क्षेत्र में प्रशासन द्वारा जल्द पहल होनी चाहिए।
शासन की रोका छेका अभियान हुआ फेल
राजेश मेहता भाजपा मंडल अध्यक्ष का कहना है की लावारिस मवेशियों से हर कोई परेशान है चाहे वह व्यापारी हो, राहगीर हो,वाहन चालक क्यों न हो, इस संबंध में स्थानीय निकाय प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। निकाय क्षेत्र में शासन की रोका छेका अभियान फिसड्डी साबित हो रही है।
राकेश टंडन रहवासी वार्ड क्रमांक 14 का कहना है की चौक चौराहों से लेकर गली मोहल्लों में लावारिश मवेशी से हर कोई परेशान है, चाहे राहगीर हो या वाहन चालक, शासन प्रशासन को इस ओर जल्द ध्यान देना चाहिए।
गिरीश साहू सीएमओ गंडई का कहना है कि लावारिस मवेशियों की पहचान कर भड़भडी स्थित गार्डन में गौठान के माध्यम से व्यवस्था बनाई जाएगी, इस संबंध में मुनादी भी कराएंगे, पूर्व में काऊकैचर के माध्यम से कार्यवाही भी हुआ था। व्यवस्था जल्द सुधारा जाएगा।

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