एशिया की सबसे कमजोर करेंसी कैसे बन गया रुपया.. क्या कीमत में और भी आ सकती है गिरावट?
भारतीय रुपया इस समय एशिया की सबसे कमजोर मुद्राओं में से एक है। इसका मतलब है कि यह अन्य एशियाई देशों की मुद्राओं की तुलना में कम मूल्यवान हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में भी रुपये की कीमत में और गिरावट आ सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपने पास रखे विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने की कोशिश कर रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार में ज्यादातर डॉलर जैसी मजबूत विदेशी मुद्राएं होती हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में मदद करती हैं। अप्रैल तक RBI को नेट शॉर्ट पोजीशन के तौर पर लगभग 73 अरब डॉलर की राशि चुकानी है, जो पहले फरवरी में 88.8 अरब डॉलर थी।
बैंकों के अनुमान:
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RBI अपने पास रखे विदेशी मुद्रा भंडार (मुख्यतः डॉलर) को बचाने की कोशिश कर रहा है, जो देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में मदद करता है। अप्रैल तक RBI को नेट शॉर्ट पोजीशन के तौर पर लगभग 73 अरब डॉलर की राशि चुकानी है (पहले फरवरी में 88.8 अरब डॉलर थी)। IDFC फर्स्ट बैंक का मानना है कि RBI को डॉलर खरीदने पड़ सकते हैं, जिससे रुपये पर और दबाव बढ़ेगा। Barclays बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भले ही डॉलर की कीमत में कमी आए, फिर भी रुपये की कीमत कमजोर रह सकती है। RBI धीरे-धीरे अपने कुछ पुराने सौदों को खत्म कर रहा है और साथ ही विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। IDFC फर्स्ट बैंक की अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता का कहना है कि RBI अपने सौदों को कम रखने की कोशिश करेगा, ताकि विदेशी मुद्रा भंडार पर ज्यादा दबाव न पड़े और रुपये की कीमत स्थिर रह सके। इस तिमाही में रुपये की कीमत में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है, जबकि अन्य एशियाई मुद्राएं डॉलर के मुकाबले मजबूत हुई हैं, इसका एक कारण भारत के बॉन्ड बाजार से विदेशी निवेशकों द्वारा पैसे निकालना भी है।
विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े:
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बाजार के हिसाब से तय होने देने में कुछ लचीलापन दिखाएंगे..
RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहाना है कि वे रुपये की कीमत को बाजार के हिसाब से तय होने देने में कुछ लचीलापन दिखाएंगे। इसका मतलब है कि वे रुपये की कीमत को पूरी तरह नियंत्रित करने की बजाय बाजार की स्थिति के अनुसार चलने देंगे। RBI की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी मुद्रा भंडार की मदद से रुपये की कीमत में होने वाले उतार-चढ़ाव को संभाला जा सकता है। इससे भविष्य में किसी भी आर्थिक या वैश्विक समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।
RBI के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में तीन महीने की अवधि के लिए 15 अरब डॉलर और तीन महीने से एक साल की अवधि के लिए 37.8 अरब डॉलर के सौदे थे। अगर ये सौदे आगे नहीं बढ़ाए गए, तो विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ सकता है। 23 मई तक भारत के पास 693 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जो सितंबर 2023 में 705 अरब डॉलर के रिकॉर्ड से थोड़ा कम है। इसका मतलब है कि RBI को अपने भंडार को और मजबूत करने की जरूरत है ताकि रुपये की कीमत को स्थिर रखा जा सके और देश की अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखा जाए।
How did the rupee become Asia’s weakest currency… can its value fall further? : source


