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IKSVV: खैरागढ़ महोत्सव में 3 दिनों तक बिखरेगी संगीत और कला की छठा, ये कलाकार करेंगे देंगे प्रस्तुति..

इंकविवि में खैरागढ़ महोत्सव की आज शुरुआत, सांसद करेंगे उद्घाटन, तीन दिनों तक बिखरेगी कला की छठा
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IKSVV: खैरागढ़ महोत्सव में 3 दिनों तक बिखरेगी संगीत और कला की छठा, ये कलाकार करेंगे देंगे प्रस्तुति..

छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 खैरागढ़ // खैरागढ़ महोत्सव के रूप में तीन साल बाद खैरागढ़ में सुर- ताल और राग का अद्भुत संगम आगामी तीन दिनों तक होगा। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में आज से शुरू हो रहे तीन दिवसीय खैरागढ़ महोत्सव की शुरुआत आज शाम से हो रहा है। इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह व उच्च शिक्षा मंत्री टंकाराम वर्मा करने वाले थे लेकिन किसी अपरिहार्य कारणों के चलते वे नहीं पहुंच रहे है जिसके बाद अब सांसद व प्रदेश भाजपा प्रवक्ता संतोष पांडे और पंडरिया विधायक भावना बोहरा जिला पंचायत अध्यक्ष प्रियंका ताम्रकार और उपाध्यक्ष विक्रांत सिंहकरेंगे।

इस महोत्सव को भव्य रूप से सजाया गया है, जिसमें संगीत विश्वविद्यालय के परिसर को आकर्षक लाइटों और कला-संस्कृति की कलाकृतियों से सजाया गया है।

प्रोफेसर बेंजामिन बून –

संगीतकार और सैक्सोफोन वादक बेंजामिन बून आयरलैंड, घाना और मोल्दोवा में यू.एस. फुलब्राइट स्कॉलर रह चुके हैं। उनका संगीत समकालीन शास्त्रीय, जैज़ और बहुसांस्कृतिक परंपराओं का संगम है। उनकी संगीतरचनाओं का प्रदर्शन 35 से भी अधिक देशों में हुई हैं जिन्हें 18 प्रमुख पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इसके अतिरिक्त वे 28 रिकॉर्डिंग्स में शामिल हैं तथा उन पर नेशनल पब्लिक रेडियो तथा जर्मन रेडियो की कई रिपोर्ट प्रकाशित हुई हैं। वर्तमान में कैलिफ़ोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी, फ्रेस्त्रो में प्रोफेसर हैं।

प्रो. (डॉ.) लवली शर्मा

डॉ. शर्मा सुप्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय सितार वादक,  संगीत-विदुषी एवं संगीत चिकित्सक हैं। आप देश की प्रथम महिला सितार वादक हैं जिन्हें डी.लिट्. की उपाधि प्राप्त हुई। 13 पुस्तकों की लेखिका डॉ. शर्मा ने 15 से अधिक देशों में सितार वादन कर भारत का प्रतिनिधित्व किया है साथ ही 25 से अधिक शोधार्थियों का सफल निर्देशन किया है। संगीत-चिकित्सा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान देते हुए आपने आजन्म कारावास के कैदियों को संगीत चिकित्सा देकर 2003 में विश्व का अपनी तरह का प्रथम सफल प्रयोग किया।

पंडित हरीश तिवारी –

भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रतिष्ठित गायक पंडित हरीश तिवारी किराना घराने की परंपरा के वरिष्ठ प्रतिनिधि हैं और भारत रत्न पं. भीमसेन जोशी के शिष्य हैं। वे आकाशवाणी के ‘टॉप ग्रेड’ गायक तथा आईसीसीआर व स्पिक मैक्य के नियमित कलाकार हैं। उन्होंने देश-विदेश के प्रमुख संगीत समारोहों में प्रस्तुति दी हैं। उन्हें साहित्य कला परिषद पुरस्कार, सुरमणि, वरिष्ठ फैलोशिप व नाद श्री सम्मान सहित अनेक सम्मान प्राप्त हुए हैं।

विदुषी आस्था गोस्वामी –

आस्था गोस्वामी किराना घराने की प्रतिष्ठित गायिका हैं, जिन्होंने आई.टी.सी. संगीत अनुसंधान अकादमी, कोलकाता में पं. अरुण भादुड़ी और पद्म विभूषण श्रीमती गिरिजा देवी के सानिध्य में संगीत प्रशिक्षण प्राप्त किया। बीस वर्षों से अधिक समय से वे भारत और विदेश में प्रतिष्ठित मंचों पर प्रस्तुति दे रही हैं। उन्हें ‘सुरमणि’ उपाधि और संगीत परंपरा रत्न सम्मान प्राप्त हैं।

पंडित गौरीशंकर कर्मकार –

पंडित संखा चटर्जी के शिष्य पंडित गौरीशंकर कर्मकार ऑल इंडिया रेडियो के टॉप-ग्रेड तबला वादक हैं और पिछले तीन दशकों से विश्वभर में प्रस्तुति दे रहे हैं। उन्होंने 2008 में ऑस्टिन (अमेरिका) में स्कूल ऑफ़ इंडियन पर्कशन एंड म्यूजिक की स्थापना की। उनके वादन में फ़र्रुखाबाद, पंजाब और दिल्ली घरानों की अनूठी सम्मिलित शैली दिखाई देती है।

जितेन्द्र कुमार साहू –

छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोकसंगीत साधक जितेन्द्र कुमार साहू एक बहुमुखी कलाकार, संगीतकार, गीतकार, गायक, निर्देशक और शिक्षक हैं। श्रुति संगीत विद्यालय और सोनहा बादर संस्था की स्थापना कर उन्होंने अनेक युवा कलाकारों को प्रशिक्षित किया। भारत के विभित्र राज्यों और नेपाल में उनके मंचीय प्रदर्शन सराहे गए हैं। उनके निर्देशन में प्रस्तुत नाटक ‘तिरिया जनम’ को राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ।

पं. बुधादित्य मुखर्जी –

इमदादखानी घराने की गौरवशाली परंपरा के प्रतीक, पंडित बुधादित्य मुखर्जी आज सितार वाद्य के पर्याय माने जाते हैं। पिता पंडित बिमलेन्दु मुखर्जी से शिक्षा प्राप्त कर, उन्होंने गायकी अंग पर आधारित भावपूर्ण और तकनीकी दृष्टि से उत्कृष्ट शैली विकसित की। इंजीनियरिंग में स्वर्ण पदक प्राप्त करने के बावजूद, उन्होंने अपना जीवन संगीत को समर्पित किया। देश-विदेश में हज़ारों प्रस्तुतियाँ टेकर उन्होंने भारतीय संगीत को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। पद्म भूषण, कुमार गंधर्व, संगीत नाटक अकादमी, कालीदास सम्मान जैसे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित, पं. मुखर्जी के वादन में गहराई, नाद सौंदर्य और आध्यात्मिक अनुभूति का अनुपम संगम है।

राम की शक्तिपूजा –

व्योमेश शुक्ला द्वारा निर्देशित इस प्रस्तुति में साहित्य, संगीत और नृत्य का संगम है, जिसमें भावों को भरतनाट्यम, छाऊ, कथक और शास्त्रीय संगीत के माध्यम से अभिव्यक्त किया गया है। इसका उद्देश्य राम के संघर्ष, साधना और आत्मबल से प्रेरणा लेकर आज के युग में शक्ति और विश्वास का संदेश देना है।

दूध मोंगरा गंडई –

डॉ. पीसीलाल यादव द्वारा निर्देशित छत्तीसगढ़ी लोक साहित्य, लोक कला और संस्कृति के संरक्षण हेतु दूध मोंगरा गंडई की स्थापना 15 अगस्त 1976 को हुई। पचास वर्षों से यह संस्था लोकगीत, लोकनृत्य और लोकनाट्य के माध्यम से छत्तीसगढ़ महतारी की महिमा बढ़ा रही है। इसके कलाकारों ने भारत के अनेक राज्यों में अपनी प्रस्तुति देकर ख्याति अर्जित की है। लोक संस्कृति, भाषा और माटी के प्रति समर्पण ही इस संस्था की जीवंतता का आधार है।

उस्ताद शिराज़ अली ख़ान –

उस्ताद अली अकबर खान के पोते एवं सेनिया बीनकर-रबाबिया घराने के प्रतिनिधि शिराज़ अली खान विख्यात सरोद वादक हैं। भारत तथा विश्व के प्रमुख संगीत समारोहों उन्होंने सराहनीय प्रस्तुतियाँ दी हैं। 2002 में इंडियन ब्लू बैंड की स्थापना कर उन्होंने फ्यूजन संगीत को नया आयाम दिया। वर्तमान में वे उस्ताद आशीष ख़ान स्कूल ऑफ वर्ल्ड म्यूज़िक में शिक्षण एवं प्रदर्शन कार्य में संलग्न हैं।

पंडित संजू सहाय –

विश्वविख्यात तबला वादक पंडित संजू सहायब नारस घराने की छठी पीढ़ी के गौरवशाली प्रतिनिधि हैं। उन्होंने तबला सम्राट पं. रामसहाय जी की परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित किया है। आपने भारत सहित विश्व के 30 से अधिक देशों में प्रस्तुतियाँ दी हैं। लंदन विश्वविद्यालय में तबला शिक्षण के साथ आपने ‘काशी आई’ संस्था द्वारा काशी की सांगीतिक धरोहर के संरक्षण व संवर्धन का भी कार्य किया है।

विदुषी शमा भाटे –

एक प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना, कोरियोग्राफर एवं शिक्षिका शमा भाटे पिछले पाँच दशकों से भारतीय नृत्य की सेवा में संलग्न हैं। गुरु रोहिणी भाटे और तालयोगी पं. सुरेश तलवलकर की शिष्या, शमा भाटे पुणे स्थित ‘नाद-रुप’ संस्थान की निदेशिका हैं। उन्होंने भारत व विदेश के प्रमुख मंचों पर प्रस्तुति दी है। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (2022) सहित अनेक राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त किए हैं। उनका नाद-रुप संस्थान 38 वर्षों से नृत्य-प्रशिक्षण, सृजन और सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व का केंद्र बना हुआ है।

श्रीमती कविता वासनिक –

छत्तीसगढ़ की प्रख्यात लोकगायिका कविता वासनिक विगत पाँच दशकों से लोकसंगीत साधना में निरंतर सक्रिय हैं। वासनिक जी ने 2000 से अधिक छत्तीसगढ़ी, पारंपरिक व आंचलिक गीतों का गायन किया है तथा देशभर में 4000 से अधिक प्रस्तुतियाँ दी हैं। आकाशवाणी, दूरदर्शन व बीबीसी लंदन से उनके गीत प्रसारित होते रहते हैं। ‘अनुराग धारा मंच की संचालिका के रुप में वे नवोदित कलाकारों को मंच प्रदान कर रही हैं। दाऊ मंदराजी अलंकरण, लता श्री अवार्ड सहित अनेक सम्मान उन्हें प्राप्त हैं।

इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में आज से शुरू हो रहे तीन दिवसीय खैरागढ़ महोत्सव मे नगर वासियों और कला प्रेमी तथा स्टूडेंट्स नामचीन कलाकारों की प्रस्तुति का साथ ही विभिन्न विभागों के संकायों द्वारा कला प्रदर्शनी भी लगाया जा रहा है जिसका आनंद उठायेंगे । 

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