खैरागढ़ में छत्तीसगढ़ राज्योत्सव 2025 : तीन दिनों तक लोक संस्कृति और कला का संगम
छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 खैरागढ़ // छत्तीसगढ़ राज्य गठन दिवस के उपलक्ष्य में खैरागढ़ जिले में तीन दिवसीय राज्योत्सव 2025 का भव्य आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन 2 नवम्बर से 4 नवम्बर 2025 तक प्रतिदिन संध्या 5 बजे से रात्रि 11 बजे तक चलेगा। तीनों दिनों तक जिले और आसपास के क्षेत्रों के स्थानीय कलाकार, संस्थान एवं विद्यार्थी अपनी उत्कृष्ट प्रस्तुतियाँ देंगे।
पहला दिवस — 2 नवम्बर 2025 : कला और शिक्षा का संगम
राज्योत्सव के प्रथम दिवस का प्रारंभ महाविद्यालयीन विद्यार्थियों और विश्वविद्यालय स्तर के कलाकारों की प्रस्तुतियों से होगा।
महाविद्यालयीन कार्यक्रम – खैरागढ़ जिला
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ के विद्यार्थियों द्वारा शास्त्रीय नृत्य, वादन एवं गायन की प्रस्तुति
कलाकारों की दुनिया, खैरागढ़ द्वारा छत्तीसगढ़ी एवं देशभक्ति गीत कार्यक्रम
उद्घाटन दिवस में कला और शिक्षा का सुंदर संगम देखने को मिलेगा।
दूसरा दिवस : 3 नवम्बर 2025 : लोक संस्कृति का रंगारंग उत्सव
दूसरे दिन का कार्यक्रम पूरी तरह लोकसंस्कृति को समर्पित रहेगा। ग्रामीण अंचलों से आए कलाकार अपनी परंपरागत धरोहर को मंच पर जीवंत करेंगे।
हाथीझोला, मुण्डाटोला एवं कोदवा के कलाकारों द्वारा लोकनृत्य और गीतों की प्रस्तुति
स्वर रागिनी लोककला मंच, छुईखदान द्वारा लोकसंगीत और पारंपरिक नृत्य
लोकरंग, अर्जुन्दा की लोकनाट्य प्रस्तुति
इस दिन पूरे परिसर में छत्तीसगढ़ी लोकधुनों की गूंज से उत्सव वातावरण बन जाएगा।
तीसरा दिवस — 4 नवम्बर 2025 : नव प्रतिभाओं का संगम
राज्योत्सव के समापन दिवस में नई पीढ़ी की प्रतिभाएँ मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन करेंगी।
स्कूली छात्र-छात्राएँ, खैरागढ़ द्वारा समूह नृत्य, नाट्य और सांस्कृतिक प्रस्तुति
दूधमोंगरा, गंडई के कलाकारों द्वारा पारंपरिक नृत्य-संगीत
समापन सत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कलाकारों को सम्मानित किया जाएगा। ![]()
संस्कृति, कला और परंपरा का उत्सव
राज्योत्सव परिसर में तीनों दिन स्थानीय व्यंजनों के स्टॉल, हस्तशिल्प प्रदर्शनी और छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति की झलकियाँ लोगों को आकर्षित करेंगी।
कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानीय कलाकारों को मंच प्रदान करना और प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को जन-जन तक पहुँचाना है।
Chhattisgarh Rajyotsav 2025 in Khairagarh: A three-day confluence of folk culture and art


