Breaking
Tue. Mar 25th, 2025

राष्ट्रीय संगोष्ठी अमरकंटक में डॉ.पीसी लाल यादव हुए सम्मानित

राष्ट्रीय संगोष्ठी अमरकंटक में डॉ.पीसी लाल यादव हुए सम्मानित
खबर शेयर करें..

छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 गंडई पंडरिया// इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आई.सी.एस.एस.आर.) नई दिल्ली की ओर से दिनांक 25 व 26 मई को “जनजातियों के बीच स्वदेशी ज्ञान की अनूठी प्रथाएँ और डिजिटल इंडिया में इसकी प्रासंगिकता” विषय पर महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया था,

जनजातीय विश्वविद्यालय के लक्ष्मण हावनुर प्रेक्षागृह में आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि थे। डॉ.संजय द्विवेदी, महानिदेशक भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद नई दिल्ली व अध्यक्षता प्रोफेसर डॉ.प्रकाश मणि त्रिपाठी कुलपति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक मुख्य वक्ता थे।

विज्ञापन..

डॉ.पीसी लाल यादव संस्कृति कर्मी व साहित्यकार गंडई केसीजी छत्तीसगढ़ अन्य वक्ताओं में डॉ. विश्वेश ठाकरे भास्कर बिलासपुर, डॉ.बालेंदु दाधिच, डॉ.एम मोनी नई दिल्ली और संयोजिका प्रो.मनीषा शर्मा विभाध्यक्ष जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक रहे।

सोशल मिडिया से जुड़ने क्लिक करें..

यह भी पढ़ेRTE: लाटरी सिस्टम: सब गुप चुप- गुप चुप..पालकों को ही नहीं जानकारी..


उद्घाटन सत्र में दीप प्रज्वलन, सरस्वती पूजन व अतिथियों के सत्कार बाद डॉ. पीसी लाल यादव ने “जनजातियों की स्वदेशी ज्ञान सम्पदा और लोक साहित्य ” विषय पर अपना शोधपूर्ण व सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया।डॉ यादव ने छत्तीसगढ़ की गोंड व बैगा जनजाति के स्वदेशी ज्ञान व उनकी परम्पराओं की सोदाहरण प्रस्तुति देकर जनजातियों में प्रचलित लोक साहित्य पंडवानी व रामायनी का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय कला, ज्ञान और संस्कृति की दृष्टि से सर्वाधिक सम्पन्न है, जिसकी उपेक्षा सभ्य समाज करता है।यह उचित नहीं है। हम जिन्हें असभ्य और जंगली कहकर तिरष्कृत और उपेक्षित करते हैं।वही ज्यादा श्रेष्ठ हैं। क्योंकि ये प्रकृति पुत्र हैं। नदी, पहाड़, जल, जंगल, जमीन आदि के ये रक्षक हैं। इनका पारम्परिक औषधि ज्ञान अद्भुत है। सभ्य समाज को आज इनसे सीखने की जरूरत है। इस संगोष्ठी में अनेक विद्वतजन तथा शोध छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित थे।सबने डॉ. यादव के व्याख्यान की प्रशंसा की।

          दूसरे दिन भी प्रथम सत्र में डॉ.पीसी लाल यादव ने जनजातियों में प्रचलित लोकोक्तियों (हाना) व प्रहेलिकाओं (जनौला) को केंद्र में रखकर जनजातियों की वाचिक परम्परा में उपलब्ध लोक साहित्य के संग्रहण तथा अभिलेखन पर बल दिया और कहा कि जनजातीय साहित्य में निहित जो स्वदेशी ज्ञान प्रणाली है, वह हमारी अमूल्य धरोहर है।

 

राष्ट्रीय संगोष्ठी अमरकंटक में डॉ.पीसी लाल यादव हुए सम्मानितइस अवसर पर डॉ.प्रकाश मणि त्रिपाठी कुलपति व डॉ.संजय द्विवेदी महानिदेशक ने डॉ.पीसी लाल यादव को पुष्पगुच्छ, श्रीफल, शाल व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। डॉ.यादव की उप्लाब्धि पर अनेक साहित्यकारों, लोक कलाकारों व इष्ट-मित्रों ने उन्हें बधाइयाँ और शुभकामनाएं दी हैं।


Rohit dewangan-gandai
रिपोर्ट : रोहित देवांगन ,गंडई
विज्ञापन के लिए सम्पर्क करें..7415791636


खबर शेयर करें..

Related Post

error: आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !!
women’s day 2025: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च ही क्यों? WhatsApp ने भारत मे शुरू किए 5 नए फीचर्स.. गोल्ड ज्वेलरी और कांजीवरम साड़ी में दुल्हन बनीं बॉडीबिल्डर, जानें कौन हैं ये हसीना BSNL क्यों बन रहा है लोगों की पहली पसंद? फोन की बैटरी खत्म करने वाले 10 ऐप्स