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Thu. Dec 4th, 2025

शिकायत के बाद भी नहीं दिखा फर्क तो ग्रामीणों ने किया ये फैसला.. लगाया ये प्रतिबंध

शिकायत के बाद भी नहीं पद फर्क तो ग्रामीणों ने किया ये फैसला.. लगाया ये प्रतिबंध
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शिकायत के बाद भी नहीं दिखा फर्क तो ग्रामीणों ने किया ये फैसला.. लगाया ये प्रतिबंध

छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 खैरागढ़ // जो काम प्रशासन करना चाहिए वो काम ग्रामीणों ने कर दिखाया है। दरअसल खपरी दरबार में में ग्रामीणों ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए गांव में पूर्ण शराबबंदी किया है, इसके निगरानी के लिए 14 सदस्यीय समिति भी बनाया है। पढ़िये ये पूरी रिपोर्ट..

जिले के ग्राम दरबार खपरी में ग्रामीणों ने एक साहसिक और अनुकरणीय कदम उठाते हुए पूर्ण शराबबंदी का ऐलान किया है। लगातार दो दिनों तक चली तीन बैठकों के बाद यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया। यह कदम गांव में बढ़ते अवैध शराब कारोबार और पुलिस संरक्षण की आशंका के विरोध में उठाया गया है। अब गांव में महुआ से बनी कच्ची शराब का निर्माण, बिक्री और सेवन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।

समिति का किया गठन 

ग्रामीणों ने गाँव मे लिए फैसले को सख्ती से लागू करने के लिए 14 सदस्यीय निगरानी समिति गठित की गई है। इस समिति के पास नियम तोड़ने वालों पर जुर्माना लगाने, सूचना देने वालों को इनाम देने और बार-बार चेतावनी के बावजूद उल्लंघन करने वालों का सामाजिक बहिष्कार करने का अधिकार रहेगा। ग्रामीणों द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार अवैध शराब बेचने पर ₹20,000 जुर्माना लगेगा। वहीं शराब बिक्री की सूचना देने पर ₹5,000 तक इनाम मिलेगा। चेतावनी के बाद भी नियम तोड़ने वालों का सामाजिक बहिष्कार होगा। शराब बनाने या बेचने वालों को ग्रामीण स्वयं पकड़कर थाने पहुंचाएंगे। बैठक में ग्रामीणों ने पुलिस पर मिली भगत और रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप भी लगाए।

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इन्हे दी गई है निगरानी की जवाबदारी 

14 सदस्यीय निगरानी समिति गठित की गई है, जिसमें लक्ष्मण निषाद, दीनदयाल जंघेल, पन्नालाल साहू, नेहरू साहू, कामता बघेल, लक्की नेताम (सरपंच), तोरण साहू (पूर्व सरपंच), वीरेंद्र साहू (पूर्व सरपंच प्रतिनिधि), राजेश निषाद, राहुल साहू, पन्नू यादव, ध्रुव जंघेल, यादव राम जंघेल और अमीर जंघेल शामिल हैं।

खपरी दरबार के ग्रामीणों का कहना है कि शराब माफिया के खिलाफ लगातार शिकायत की गई पर कोई भी कार्यवाई नहीं हुई। इसी के चलते अब गांववाले प्रशासन की बजाय खुद समाज को बदलने का बीड़ा उठा चुके हैं। यह कदम अन्य गांवों के लिए प्रेरणा बन सकता है। समिति के पास नियम तोड़ने वालों पर जुर्माना लगाने, सूचना देने वालों को इनाम देने और बार-बार चेतावनी के बावजूद उल्लंघन करने वालों का सामाजिक बहिष्कार करने का अधिकार रहेगा।शिकायत के बाद भी नहीं पद फर्क तो ग्रामीणों ने किया ये फैसला.. लगाया ये प्रतिबंध

शिकायत के बाद भी नहीं पद फर्क तो ग्रामीणों ने किया ये फैसला.. लगाया ये प्रतिबंध

ग्रामीणों द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार—

अवैध शराब बेचने पर ₹20,000 जुर्माना लगेगा।

शराब बिक्री की सूचना देने पर ₹5,000 तक इनाम मिलेगा।

चेतावनी के बाद भी नियम तोड़ने वालों का सामाजिक बहिष्कार होगा।

शराब बनाने या बेचने वालों को ग्रामीण स्वयं पकड़कर थाने पहुंचाएंगे।

शिकायत भी हुई पर नहीं हुआ एक्शन तब जाकर उठाया ये कदम 

ग्रामीणों का साफ कहना है की वैधानिक कारवाई की चाह मे प्रशासनिक तौर पर आला अधिकारियों से कई बार की गई लेकिन इस पर कोई एक्शन और कड़ाई नहीं दिखाई गई जियासके बाद लगातार बैठके गाँव मे चलती रही और तब एक मत से गाँव मे शराब बंदी का फैसला लिया गया है। 

साभार : बंसल न्यूज




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