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गाइडलाइन की अनदेखी कर गंडई को अधिसूचित एरिया बना दिया समझकर अनुसूचित जनजाति का प्रमाण-पत्र

तहसील कार्यालय, गंडई
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छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 गंडई-पंडरिया// गंडई क्षेत्र में फर्जी जाति प्रमाण पत्र जारी करने मामला सामने आया है। ग्राम कालेगोंदी निवासी जो पराधी जाति से हैं। इन्हें अनुसूचित जनजाति का सदस्य बताकर एसडीएम गंडई रेणुका रात्रे ने 16 जून को अनुमोदन कर प्रमाण पत्र जारी कर दिया है।

 

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कालेगोंदी निवासी सुखचंद पराधी पिता बनऊ निवासी कालेगोदी खैरागढ़-गंडई-छुईखदान जिले के हैं। जबकि छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातिया आदेश संशोधन अधिनियम 1976 तथा 2000 के अधिनियम की संख्या 28 द्वारा उल्लेखित किया गया है जिसमें अधिसूचित अनुसूचित जनजातियों के लिस्ट में कंडिका क्रमांक 36 में उल्लेखित पराधी जाति को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र बनाने जारी करने के लिए सक्षम अधिकारी को अधिकृत किया गया है।

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ऐसे जारी हुआ स्थाई जाति प्रमाण पत्र

सबसे पहले आवेदक उन तमाम दस्तावेज को स्थानीय च्वॉइस सेंटर,लोक सेवा केंद्र के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन किया जाता है। जिसमें जहां तक पटवारी, सरपंच, कोटवार से हस्ताक्षर युक्त दस्तावेज आवेदन की समस्त दस्तावेज तहसील कार्यालय में पदस्थ रीडर/ बाबू के आईडी में पहुंचता है। इसके बाद तहसीलदार द्वारा चेककर अस्थाई जाति प्रमाण पत्र संबंधित आवेदक को जारी किया जाता है,इसके बाद अनुमोदन के लिए अनुविभागीय अधिकारी के रीडर/ बाबू के आईडी में जाता है। एसडीएम की आईडी में एप्रूवल के लिए जाता है।

संबंधित प्राधिकृत अधिकारी के डिजिटल हस्ताक्षर से प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। ऐसे में एक जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा इस प्रकार की लापरवाही कहां तक उचित है।

 

ऐसे जारी हुआ स्थाई जाति प्रमाण पत्र

सबसे पहले आवेदक उन तमाम दस्तावेज को स्थानीय च्वॉइस सेंटर,लोक सेवा केंद्र के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन किया जाता है। जिसमें जहां तक पटवारी, सरपंच, कोटवार से हस्ताक्षर युक्त दस्तावेज आवेदन की समस्त दस्तावेज तहसील कार्यालय में पदस्थ रीडर/ बाबू के आईडी में पहुंचता है। इसके बाद तहसीलदार द्वारा चेककर अस्थाई जाति प्रमाण पत्र संबंधित आवेदक को जारी किया जाता है,इसके बाद अनुमोदन के लिए अनुविभागीय अधिकारी के रीडर/ बाबू के आईडी में जाता है। एसडीएम की आईडी में एप्रूवल के लिए जाता है।

संबंधित प्राधिकृत अधिकारी के डिजिटल हस्ताक्षर से प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। ऐसे में एक जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा इस प्रकार की लापरवाही कहां तक उचित है।तहसील कार्यालय, गंडई

 

इन जिलों में अनुसूचित जनजाति में शामिल

छत्तीसगढ़ के बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, रायगढ़, जशपुर नगर सरगुजा और कोरिया जिले में कोरबा जिले के कटघोड़ा पाली करताला और कोरबा तहसीलों में बिलासपुर जिला के बिलासपुर, पेंड्रा, कोटा और तखतपुर तहसीलों में, दुर्ग जिले के दुर्ग, पाटन, गुंडरदेही, धमधा, बालोद, गुरुर और डौंडी लोहारा तहसीलों में राजनांदगांव जिला के चौकी, मानपुर और मोहला राजस्व निरीक्षक मंडल में, महासमुंद जिले के महासमुंद सरायपाली और बसना तहसीलों में, रायपुर जिला के बिंद्रा नवागढ़ राजीम और देवभोग तहसीलों में, धमतरी जिला के धमतरी कुरूद और सिहावा तहसीलों में जारी किए जाने का स्पष्ट निर्देश हैं। नियम को सरकार के ही प्रशासनिक अधिकारी धता बता रहे हैं।


जांच करवानी पड़ेगी..

यहा से पराधी जनजाति का जाति प्रमाणपत्र तो नहीं बनेगा,फिर भी चेक करवा लेती हूं,अगर जारी हुआ होगा तो निरस्त कराएंगे।

प्रीती लालोकर, तहसीलदार


 

निरस्त कर देंगे…

अगर गलती से जारी हुआ होगा तो जांच कर निरस्त करेंगे। ऐसे 2013 के एक्ट में शपथकर्ता की जिम्मेदारी होती है।

रेणुका रात्रे, एसडीएम गंडई


जाति प्रमाण पत्र मामले में गंडई में सक्षम अधिकारी एसडीएम है पदस्थ हैं। वह बता देंगे अगर ऐसी गलती है तो मैं जानकारी ले लेता हूं।

चंद्रकांत वर्मा, कलेक्टर केसीजी


Rohit dewangan-gandai
रिपोर्ट : रोहित देवांगन, गंडई
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