कलेक्टर के आदेश जनता की आवाज दबाने की कोशिश – यशोदा
छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 खैरागढ़ : जिला कलेक्टर कार्यालय परिसर से 100 मीटर की दूरी तक पांच लोगों से अधिक की पाबंदी,रैली धरना-प्रदर्शन और नारेबाजी पर रोक लगाने के आदेश ने खैरागढ़ में सियासी हलचल मचा दी है। जिला कलेक्टर केसीजी द्वारा जारी इस आदेश को क्षेत्रीय विधायक श्रीमती यशोदा नीलांबर वर्मा ने जनविरोधी और तानाशाही निर्णय करार दिया है।
विधायक वर्मा ने कहा कि कलेक्टर का यह आदेश सीधे तौर पर जिले की जनता और किसानों की आवाज को दबाने का प्रयास है। क्या भाजपा की यही शुसासन है, उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह आदेश केवल भारतीय जनता पार्टी को बचाने के लिए जारी किया गया है।
वर्मा ने कहा कि प्रदेश के किसी भी जिले में इस तरह का आदेश लागू नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में जिले की जनता पहले ही बिजली दरों में बढ़ोतरी, जर्जर सड़कों, बढ़ती महंगाई और खराब फसलों के मुआवजे, बीमा जैसे मुद्दों से परेशान है। ऐसे में जनता जब अपनी समस्याओं को लेकर कलेक्टर कार्यालय आती है तो उसे अब 100 मीटर दूर रोक देना प्रशासन की तानाशाही है।
अगर जनता कलेक्टर से नहीं मिल पाया तो नया जिला बनाने की क्या फायदा–विधायक श्रीमती वर्मा ने कहा कि खैरागढ़ छुईखदान गंडई जिला की मांग लगातार क्षेत्र की जनता 100 कि. मी. दूर राजनांदगांव कलेक्टर से मिलने न जाने पड़े करके नया जिला की मांग किया था जिसे वाजिब मांग मानते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नया जिला की क्षेत्रवासियों को सौगात दी थी लेकिन कलेक्टर की नया आदेश से जनता में आक्रोश फैल रही है।
किसानों का आक्रोश हमारी आवाज कौन सुनेगा
विधायक वर्मा ने बताया कि 4 नवंबर को उनके नेतृत्व में हजारों किसान जिला कार्यालय पहुंचे थे। किसानों ने खराब फसल का मुआवजा, बीमा राशि का भुगतान, धान खरीदी पंजीयन में सुधार और गिरदावरी सर्वे में हुई अनियमितताओं के खिलाफ शांतिपूर्ण ज्ञापन सौंपने की कोशिश की। लेकिन कलेक्टर कार्यालय में मौजूद होने के बावजूद किसानों से मिलने नहीं पहुंचे। इससे किसानों में गहरा असंतोष फैला और उन्होंने शांतिपूर्ण नारेबाजी करते हुए कहा कलेक्टर हमारा सेवक है, बाहर आकर हमारी बात सुने।
कलेक्टर की चुप्पी व विधायक की मौजूदगी के बावजूद ज्ञापन लेने नहीं आया जिसके कारण से नाराज किसानों ने चार घंटो तक कलेक्ट्रेड के बाहर बैठ गए, जिससे अघोषित चक्का जाम की स्थिति बना दी।
श्रीमती वर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कलेक्टर का आदेश केवल भारतीय जनता पार्टी के विष्णु देव सरकार को लक्षित करते हुए किया गया है, या फिर कलेक्टर ने जिले की जनता के आक्रोश से बचने के लिए यह आदेश जारी किया है। क्योंकि छत्तीसगढ़ के किसी भी जिले में जिला कलेक्टर द्वारा जनता की मांगों को लेकर इस प्रकार का कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। कलेक्टर सरकार की अंग है उन्हीं के माध्यम से राज्यपाल , राज्यशासन व केंद्र सरकार के नाम ज्ञापन सौपते है। ![]()
कलेक्टर जनता की अधिकार को नहीं छीन सकता : यशोदा
विधायक वर्मा ने कलेक्टर के आदेश को जनता और किसानों के आक्रोश से डरने की निशानी बताया। उन्होंने कहा कि कलेक्टर जनता का सेवक होता है, और उसका कर्तव्य है कि वह जनता की समस्याओं को सुने और शासन तक पहुँचा कर उनका समाधान करे।
उन्होंने कहा कि वह इस आदेश के खिलाफ राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखेंगी और इसे तत्काल निरस्त करने की मांग करेंगी। साथ ही अगर उनकी समस्याएं नहीं सुनी गईं, तो वे विधायक की नेतृत्व मे शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रखेंगे।


