राष्ट्रीय खबर डेस्क खबर 24×7 नई दिल्ली// केंद्र सरकार इस्लाम व ईसाई धर्म अपनाने वाले दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने से सहमत नहीं है। इस मामले में याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में सरकार ने कहा कि इस्लाम व ईसाई धर्म अपनाने वालों को एससी का दर्जा नहीं दिया जा सकता, क्योंकि इन धर्मों में जातीय आधार पर भेदभाव नहीं है। ईसाई व इस्लाम समाज में छुआछूत की प्रथा प्रचलित नहीं थी। इनके लोगों को उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ा। सरकार ने कहा कि सिखों, बौद्ध धर्म में धर्मांतरण की प्रकृति ईसाई धर्म में धर्मांतरण से भिन्न रही है। धर्म परिवर्तन करने पर व्यक्ति जाति खो देता है। कोर्ट राष्ट्रपति के आदेश में बदलाव का निर्देश नहीं दे सकता।.
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अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट का जिक्र
हलफनामे में राष्ट्रीय धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट के एक असहमति नोट का भी जिक्र किया। इसमें कहा कि ईसाई और इस्लाम अनिवार्य रूप से विदेशी धर्म हैं। वे जाति व्यवस्था को मान्यता नहीं देते। ऐसे लोगों को एससी का दर्जा देना उन धर्मों में जाति व्यवस्था की शुरुआत करना होगा। सरकार ने कहा कि रंगनाथ मिश्रा कमीशन ने जमीनी हकीकत के अध्ययन के बिना सभी धर्मों में धर्मांतरण वाले लोगों को एससी का दर्जा देने की सिफारिश की थी। सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया था।.
आयोग तय करेगा
इस मुद्दे के महत्त्व और संवेदनशीलता को देखते हुए पूर्व मुख्य न्यायाधीश के.जी. बालकृष्णन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया है, जो उन लोगों को अनुसूचित जाति का दर्जा प्रदान करने पर गौर करेगा, जो अनुसूचित जाति से संबंधित हैं, लेकिन अन्य धर्मों में परिवर्तित हो