तीन डॉक्टर निलंबित: रिश्वत के बदले देते थे मनचाही रिपोर्ट, रावतपुरा मेडिकल कॉलेज घोटाले में मान्यता के बदले ली थी रिश्वत
छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 रायपुर // कर्नाटक सरकार के मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट ने रावतपुरा सरकारी चिकित्सा विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान (रायपुर, छत्तीसगढ़) को मान्यता दिलाने के लिए रिश्वत लेने के आरोप में फंसे तीन डॉक्टरों को निलंबित कर दिया है। ये डॉक्टर नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) की इंस्पेक्शन टीम के सदस्य थे। सीबीआई की जांच में सामने आए भ्रष्टाचार के इस मामले ने मेडिकल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विभाग ने मंगलवार को निलंबन आदेश जारी किए, जो सीबीआई की रिपोर्ट के आधार पर हैं।
निलंबित डॉक्टरों के नाम और पदडॉ. चैत्रा एम.एस.: एसोसिएट प्रोफेसर, अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज, बेंगलुरु। सोशल मिडिया से जुड़ने क्लिक करें..
डॉ. मंजप्पा सी.एन.: प्रोफेसर और प्रमुख, ऑर्थोपेडिक्स विभाग, मंड्या इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज। डॉ. अशोक शेलके: असिस्टेंट प्रोफेसर, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग, बीदार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज। ये सभी डॉक्टर कर्नाटक के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े हैं और NMC की ओर से रावतपुरा संस्थान का निरीक्षण करने गए थे। |
क्या है पूरा मामला?
यह मामला भारत के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज घोटालों में से एक माना जा रहा है, जिसमें कई राज्यों में फैले भ्रष्टाचार की परतें सामने आई हैं। 1 जुलाई 2025 को सीबीआई ने एक जाल बिछाकर तीनों डॉक्टरों सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि इन्होंने मीडिएटर्स के माध्यम से कुल 55 लाख रुपये की रिश्वत ली, बदले में रावतपुरा सरकारी चिकित्सा विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान (श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, नवा रायपुर) के लिए सकारात्मक इंस्पेक्शन रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के आधार पर संस्थान को NMC से सीटों की मंजूरी मिल गई।
Rawatpura Medical College scam :
सीबीआई ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक सहित छह राज्यों में 40 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की। जांच में पकड़े गए डॉक्टरों के पास से 38.38 लाख रुपये एक सहयोगी के पास और 16.62 लाख रुपये एक अधिकारी के निवास से बरामद किए गए। यह घोटाला एक स्वघोषित संत (गॉडमैन) और वरिष्ठ अधिकारियों के नेटवर्क से जुड़ा बताया जा रहा है, जिसमें मेडिकल कॉलेजों को बिना योग्यता के मान्यता दिलाने के लिए करोड़ों रुपये की रिश्वत का खेल चल रहा था।
Rawatpura Medical College scam :
कैसे रचा गया यह खेल?
सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ कि इंस्पेक्शन का शेड्यूल और मूल्यांकनकर्ताओं (असेसर्स) की पहचान को कॉलेज को पहले ही लीक कर दिया गया था। इससे संस्थान ने रिकॉर्ड, दस्तावेज और अन्य सुविधाएं पहले से तैयार कर लीं, ताकि निरीक्षण के दौरान सब कुछ मानकों पर खरा दिखे। फर्जी फैकल्टी, बायोमेट्रिक अटेंडेंस और नकली अनुभव प्रमाणपत्रों का भी इस्तेमाल किया गया। इस तरह की साजिश से कई मेडिकल कॉलेजों को अनुचित लाभ मिला, जो वास्तव में योग्य नहीं थे।
Rawatpura Medical College scam :
34 से अधिक लोग फंसे, FIR में नामजद
इस घोटाले में कुल 34 से अधिक लोगों के नाम एफआईआर में दर्ज हैं, जिनमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, NMC के अधिकारी, IAS-IPS अधिकारी, मीडिएटर्स और मेडिकल संस्थानों के पदाधिकारी शामिल हैं। गिरफ्तार होने वाले पहले आरोपी यही तीन डॉक्टर थे। सीबीआई ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PCA) और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। जांच अभी जारी है, और अन्य संदिग्धों पर नजर रखी जा रही है।
Three doctors suspended: They gave desired reports in exchange for bribes, took bribes in exchange for recognition in the Rawatpura Medical College scam.
