प्रस्तावित खदानों को लेकर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, जनसुनवाई को बताया दिखावा, कलेक्टर कार्यालय के घेराव की चेतावनी
छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 खैरागढ़// जिले के ग्राम पंचायत घोठिया के आश्रित ग्राम खुर्सीपार में प्रस्तावित तीन खनन परियोजनाओं को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा है। बुधवार को बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने संगठित होकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और जनसुनवाई में रखी अपनी आपत्तियों को औपचारिक रूप से दोहराते हुए प्रशासन को दो टूक चेतावनी दी है। कहा कि यदि एक भी नई खदान स्वीकृत हुई, तो कलेक्टर कार्यालय के बाहर धरना देंगे।
जनसुनवाई बना दिखावा, सुनियोजित षड्यंत्र के आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि 23 जुलाई को आयोजित जनसुनवाई मात्र औपचारिकता थी। ग्रामीणों द्वारा उठाए गए गंभीर सवालों और आपत्तियों का कोई संतोषजनक उत्तर न देते हुए, प्रस्तावित खनन कंपनियों के प्रतिनिधि अपनी महंगी गाड़ियों में बैठकर मौके से चले गए।

ग्रामीणों का कहना है कि सब कुछ पहले से तय था — “जनसुनवाई सिर्फ दिखाने के लिए रखी गई थी, असल में निर्णय पहले ही कर लिया गया था।”

कलेक्टर को सौंपा गया आपत्ति पत्र
जनसुनवाई की प्रक्रिया से असंतुष्ट ग्रामीणों ने तुरंत एक आपत्ति पत्र तैयार किया और कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर विरोध दर्ज कराया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि प्रशासन ने जन भावनाओं को नजरअंदाज कर परियोजनाओं को हरी झंडी दी, तो सभी ग्रामवासी सामूहिक रूप से कलेक्टर कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरना देंगे।
इन खनन परियोजनाओं को बताया विनाशकारी
ग्रामीणों का कहना है कि प्रस्तावित परियोजनाएं :-
मेसर्स ऋषभ मिनरल्स (उत्तम सिंह) – 1.599 हेक्टेयर, 75,000 टन/वर्ष
मेसर्स साईंराम इंटरप्राइजेज (अजय मसीह) – 1.619 हेक्टेयर, 30,038 टन/वर्ष
मेसर्स लाइम स्टोन क्वॉरी (भूपेन्द्र सिंह सलूजा) – 2.042 हेक्टेयर, 40,000 टन/वर्ष
ग्राम खुर्सीपार के जल, भूमि, पर्यावरण के लिए सीधा खतरा
ग्रामीणों ने कहा कि इन परियोजनाओं से उत्पन्न धूल और अति महीन कण होते हैं, जो खेतो के साथ ही शरीर में जाकर जानलेवा बीमारियों को जन्म देते हैं।
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जिले में पहले से हैं 30 से अधिक खदानें
ज्ञापन में यह भी स्पष्ट किया गया कि जिले में पहले से ही 30 से अधिक खदानें संचालित हैं, जिनसे क्षेत्र की पारिस्थितिकी और आम जनजीवन पहले ही प्रभावित है। ऐसे में नई खदानों को स्वीकृति देना न केवल गैर-जिम्मेदाराना होगा, बल्कि स्थानीय लोगों के जीवन अधिकार का सीधा उल्लंघन भी।
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ग्रामीणों की चेतावनी: अब आर-पार की लड़ाई
ज्ञापन देने पहुंचे भानुप्रताप सिरमौर, हेमराज सिरमौर और अन्य ग्रामीणों ने कहा कि यह केवल परियोजनाओं का विरोध नहीं, बल्कि अपने बच्चों के भविष्य और गांव की सुरक्षा की लड़ाई है। यदि प्रशासन ने जनसुनवाई को नजरअंदाज किया, तो यह आंदोलन जिले भर में व्यापक रूप ले सकता है।
प्रशासन पर सीधा सवाल?
अब पूरा सवाल जिला प्रशासन से है – कि क्या वह जनभावनाओं के साथ खड़ा होगा या कॉर्पोरेट मुनाफे के पक्ष में निर्णय लेकर ग्रामीणों को आंदोलन के लिए मजबूर करेगा?
फैसला प्रशासन को करना है, लेकिन ‘विकास’ के नाम पर विनाश की इजाजत अब ग्रामीण नहीं देंगे।
Villagers expressed their anger over the proposed mines, called the public hearing a sham, warned of gherao of the Collector’s office
