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मनीष सिसोदिया को नहीं मिली राहत..दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत याचिका खारिज

मनीष सिसोदिया को नहीं मिली राहत..दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत याचिका खारिज
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दिल्ली //  हाईकोर्ट ने चर्चित शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया को राहत देने से इनकार कर दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट में शराब घोटाले के आरोपी मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज हो गई है। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने सिसोदिया की जमानत पर फैसला सुनाया है। जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि वो इस स्टेज पर पर जमानत के योग्य नहीं है। अदालत सिसोदिया के अलावा उद्योगपति अभिषेक बोइनपल्ली, बेनॉय बाबू और विजय नायर की याचिकाओं पर भी फैसला सुनाया है। अदालत ने इनकी भी याचिका खारिज कर दी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धन शोधन के मामले में ये सभी सह-आरोपी हैं। हाईकोर्ट ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम की याचिका खारिज करते हुए कहा कि मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार में प्रभावशाली पद पर रहे हैं, ज़मानत मिलने पर गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। अदालत ने विजय नायर, बिजनेसमैन अभिषेक बोनिपल्ली, बिनॉय बाबू की ज़मानत अर्जी भी खारिज कर दी।मनीष सिसोदिया को नहीं मिली राहत..दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत याचिका खारिज

 दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे वापस ले लिया गया था। सिसोदिया को घोटाले में कथित भूमिका के लिए सबसे पहले 26 फरवरी को सीबीआई (केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो) ने गिरफ्तार किया था और वह तब से हिरासत में हैं। उच्च न्यायालय सीबीआई वाले मामले में 30 मई को उन्हें जमानत देने से इनकार कर चुका है। उन्हें ईडी ने नौ मार्च को गिरफ्तार किया था और अभी वह न्यायिक हिरासत में हैं। उच्च न्यायालय ने दो जून को सिसोदिया की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। सिसोदिया ने ‘मल्टीपल स्केलेरोसिस’ से पीड़ित अपनी पत्नी के बिगड़ते स्वास्थ्य सहित विभिन्न आधारों पर जमानत मांगी थी। हालांकि, ईडी ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम की जमानत याचिका का विरोध किया है।

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शराब घोटाले से ही संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग से ही जुड़े एक अन्य मामले में शराब व्यवसायी समीर महेंद्रू को दी गयी छह सप्ताह की अंतरिम जमानत को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विचार करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू से कहा कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी। राजू ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश ‘चौंकाने वाला’ और गलत तथ्यों पर आधारित है तथा इसे एक मिसाल के रूप में नहीं माना जा सकता। पीठ ने कहा, ”क्षमा करें, छह सप्ताह की जमानत के लिए हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे। यह अवधि अगले 10-15 दिनों में अपने आप समाप्त हो जाएगी।”उच्च न्यायालय ने 12 जून को धन शोधन मामले में महेंद्रू को चिकित्सा आधार पर छह सप्ताह की अंतरिम जमानत दी थी।

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