महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री पर बोले शंकराचार्य.. ‘मक्का में मक्केश्वर महादेव, शिव पुराण में है वर्णन’
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महराज ( Shankaracharya Nischalanand Saraswati) ने महाकुंभ क्षेत्र में मुस्लिमों की प्रवेश बैन किए जाने की मांग पर बड़ा बयान दिया है। शंकराचार्य ने कहा कि जो रसखान, रहीम और वैज्ञानिक कलाम कोटि के मुसलमान हैं, किसी का जन्म मुस्लिम कुल में हो गया है और वह रहीम, रसखान और वैज्ञानिक कलाम कोटि का है तो उसका तिरस्कार मुसलमान के नाम पर नहीं होना चाहिए।
मक्का में मक्केश्वर महादेव- शंकराचार्य निश्चलानंद महाराज
शंकराचार्य निश्चलानंद महाराज ने कहा कि मक्का में मक्केश्वर महादेव हैं। गीता प्रेस के शिव पुराण अंक में विस्तार से इस बारे में छपा है लेकिन मक्का मदीना मुसलमानों के तीर्थ हो गए। उन्होंने वहां पर हिंदुओं के जाने पर प्रतिबंध लगा रखा है, उसकी नकल करके अब मुसलमानों के महाकुंभ में प्रवेश पर प्रतिबंध की मांग उठ रही है।
उन्होंने कहा कि सवाल ये है कि दुकानें ज्यादातर मुसलमान लगाते हैं। उससे हुई करोड़ों रुपये की आमदनी को वे ले जाते हैं। ऐसे में दुकानें हिन्दू लगाएं तो यह मांग मांग उचित हो जाती है लेकिन अगर रहीम, रसखान और वैज्ञानिक कलाम जैसे उच्च कोटि के मुसलमानों को भी खराब मान लेंगे तो कालांतर में दंगे का मार्ग प्रशस्त होता है।
सनातन बोर्ड पर पहले उसकी उपयोगिता सिद्ध करें
वक्फ़ बोर्ड के समानांतर अखाड़ा परिषद की ओर से सनातन बोर्ड के गठन की मांग पर भी पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज (Shankaracharya Nischalanand Saraswati)ने प्रतिक्रिया दी। कहा कि जो लोग यह मांग उठा रहे हैं, पहले वह उसकी उपयोगिता सिद्ध करें कि यह देश, विश्व और समाज के हित में है या नहीं। मोदी जी और योगी जी जैसे उत्तम कोटि के नेता हैं वह उसकी उपयोगिता को समझते हैं तो क्रियान्वित कर दें।
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने यह भी कहा है कि वह किसी से कोई मांग नहीं करते, जब हम किसी से मांगते हैं तो उसे अपने से बड़ा सिद्ध कर देते हैं। महाराज ने कहा कि मैं तो किसी सरकार और शासन तंत्र से कोई मांग नहीं करता, शासन तंत्र हमारी बातों से डरता भी है और मेरी बात अपनाता भी है।
कल्पवासियों को दूर बसाए जाने पर भड़के शंकराचार्य
धारा 370 निरस्त करने को लेकर हमने मांग उठाई थी, इससे अमित शाह चौंक गए थे, लेकिन कालांतर में उन्हीं की सरकार ने कर भी दिया। ऐसे में कोई मांग मांगना ठीक नहीं है, जो हम कहना चाहते हैं या करवाना चाहते हैं उसमें देशकाल परिस्थिति, दर्शनकाल, विज्ञान व्यवहार में सामंजस्य साधकर उसकी उपयोगिता सिद्ध कर दीजिए, जिस सरकार को जो अपनाना होगा वह अपना लेगी। Shankaracharya Nischalanand Saraswati
महाकुंभ क्षेत्र में कल्पवासियों को संगम क्षेत्र से काफी दूर बसाए जाने पर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने मेला प्रशासन को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा है कि जिनके नाम पर मेले का आयोजन होता है उन कल्पवासियों को वीआईपी के नाम पर खिसका देना उचित नहीं है। माघ में जो निवास करते हैं वह कल्पवासी होते हैं, वह तपस्वी होते हैं और उचित व्यवहार करते हैं। वे मांस और मदिरा से दूर रहते हैं और सर्दी में भी ब्रह्ममुहुर्त में स्नान करते हैं. जिनके नाम से मेले की प्रसिद्धि है, उन्हें ही आगे खिसका देना अनुचित है। साभार.
Shankaracharya said on the entry of Muslims in Maha Kumbh.. ‘Makkaeshwar Mahadev in Mecca, Description is in Shiva Purana’