छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 राजनांदगांव // पंचायत विभाग संचालनालय से जिला पंचायत सदस्य विप्लव साहू के निर्वाचन शून्य होने के आदेश के बाद अब विप्लव साहू को हाईकोर्ट से राहत मिली है। पंचायत संचालनालय के निर्णय को चुनौती देते हुए विप्लव ने याचिका लगाई थी। जहां से उन्हें स्टे पत्रकार वार्ता में दी।
विप्लव साहू के निर्वाचन शून्य करने संचनालय के आदेश पर हाई कोर्ट ने स्थगन आदेश जारी कर दिया। जानकारी देते हुए विप्लव साहू ने बताया कि लोकतांत्रिक ढंग से विजयी होने के बावजूद दयालु वर्मा जैसे लोगों ने ईर्ष्या भाव से ग्रस्त होकर निर्वाचन को शून्य करने के लिए संचानालय में आवेदन दिया था। राजनीतिक पद में बैठे कुछ लोगों ने अपने प्रभाव का बेजा इस्तेमाल करते हुए पदच्युत करने का अनैतिक प्रयास किया है। विप्लव ने बताया कि उनकी ओर से हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीके केशरवानी ने मामले में पैरवी की। जिसके बाद हाईकोर्ट में संचनालय के आदेश में कमियों को ध्यान में रखते हुए उक्त आदेश में स्थगन दे दिया है।
उन्होंने आगे कहा कि उक्त आवेदन 5 मार्च 2020 को दायर किया गया था और चुनाव 31 जनवरी 2020 को घोषित किया गया था, इसलिए याचिकाकर्ता के पक्ष में अंतरिम राहत दी जा सकती है। मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, विशुद्ध रूप से एक अंतरिम उपाय के रूप में, सुनवाई की अगली तारीख तक संचालन के फैसले पर रोक रहेगी।
बता दे कि जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 6 मुढ़ीपार के सदस्य के रूप में निर्वाचन को न्यायालय संचालक पंचायत संचालनालय छत्तीसगढ़ ने शून्य घोषित कर दिया था। फैसले को विप्लव द्वारा चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील किया था। जिसमे खैरागढ़ के एड. मनराखन देवांगन और विद्वान वकील सी के केशरवानी और अनुकूल विश्वास ने बिलासपुर हाईकोर्ट में पक्ष मजबूती से रखा। जहां पर हाईकोर्ट ने पंचायत संचालनालय के आदेश में कमजोरियों को देखते हुए हमे स्थगन आदेश दिया है, कि विप्लव साहू जिला पंचायत के सदस्य के पद पर विधि सम्मत आसीन विधि सम्मत आसीन रहेंगे।
विप्लव साहू ने कहा कि राजनीतिक पद में बैठे कुछ लोगों ने अपने प्रभाव का बेजा इस्तेमाल करते हुए हमे पदच्युत करके लोकतंत्र को चुराने की कोशिश किये। जिसमे वे नाकाम रहे हैं। और हमे भी माननीय उच्च न्यायालय पर भरोसा है।