छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 बलरामपुर// होली के उल्लास भरे पर्व पर बिहान की स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाए गये हर्बल गुलाल की छटा बिखरेगी। जिले के रामचन्द्रपुर विकासखण्ड के ग्राम चिनिया में होली के पर्व को ध्यान में रखते हुए स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने हर्बल रंग से मनाये जाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। एक ओर जहां बाजार में रासायनिक रंग-गुलाल उपलब्ध हैं, वहीं सी-मार्ट में समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित इको फ्रेंडली हर्बल गुलाल की बिक्री की जा रही है। चिनिया गौठान में गायत्री महिला स्व-सहायता समूह द्वारा हर्बल गुलाल का निर्माण किया जा रहा है।
समूह की महिलाएं कृत्रिम रंगों से इतर होली का त्यौहार प्राकृतिक रंगों से ही मनाने की बात कह रही हैं। प्राकृतिक रूप से निर्मित हर्बल गुलाल में किसी भी प्रकार के रासायनिक केमिकल का उपयोग नहीं किया गया है। समूह की महिलाआंे को बिहान के द्वारा हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है, इसके साथ ही शुरुआती चरण में उन्हें हर्बल गुलाल बनाने हेतु आर्थिक सहायता राशि उपलब्ध कराई गई है। महिलाओं द्वारा चुकंदर, पालक, लाल भाजी, फूलों जैसे- पलाश, गुलाब, गंेदा से हर्बल रंग तैयार किया जा रहा है। वहीं गायत्री स्व-सहायता समूह महिलाओं ने अब तक 01 क्विंटल से अधिक हर्बल गुलाल का निर्माण कर चुकी हैं, महिलाओं को हर्बल गुलाल की बिक्री हेतु समुचित बाजार दिलाने का कार्य जिला प्रशासन के द्वारा किया गया है, और सी-मार्ट के माध्यम से हर्बल गुलाल का विक्रय किया जा रहा है, जिससे समूह की महिलाओं को आर्थिक लाभ हो रहा है।
महिलाएं फूलो से बना रही हर्बल गुलाल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप जिले में निर्मित गौठानों से जुड़कर महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं मल्टीएक्टीविटी के तहत विभिन्न गतिविधियां कर आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो रहीं हैं। इसी कड़ी में शिवपुर चिनिया गौठान में समूह की महिलाएं हर्बल गुलाल का निर्माण कर रहीं हैं। गायत्री महिला स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती शिवकुवंर यादव ने बताया कि विगत वर्ष हर्बल गुलाल की मांग को देखते हुए इस वर्ष होली त्यौहार के लिए दस सदस्यों के साथ हर्बल गुलाल बना रहीं हैं। उन्होंने बताया कि हर्बल गुलाल पूरी तरह से केमिकल रहित है, और इसके इस्तेमाल से कोई साइड इफेक्ट नहीं है। श्रीमती यादव ने बताया कि वे हर्बल गुलाल में रंग और महक के लिए प्राकृतिक फूलों का इस्तेमाल कर रही हैं, इसके साथ ही लक्ष्य निर्धारित कर अब तक एक क्विंटल गुलाल बना चुकीं हैं और मांग के अनुरूप निर्माण किया जा रहा है, तथा एक क्विंटल गुलाल की बिक्री हो चुकी है, जिससे उन्हें 30 हजार रुपये की आर्थिक आमदनी हुई है।