छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 छुईखदान // इस सदी के महान तपस्वी संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर मुनि अपने मुनि संघ के साथ अपने कदम छुई खदान की ओर बढ़ा दिए हैं। उनके गुरुवार की शाम या शुक्रवार की सुबह छुई खदान पहुंचने की संभावना है। बिना बताए गमन करने वाला आचार्य श्री का संघ जिस रास्ते गमन करता है तब श्रद्धालुओं को पता चलता है कि मुनि संघ किस और गमन कर रहा है।
डोंगरगढ़ चंद्र गिरी तीर्थ में कुछ दिनों विश्राम पश्चात आचार्य श्री का मुनि संघ दिनांक 27 फरवरी को डोंगरगढ़ से खैरागढ़ छुईखदान रास्ते की ओर गमन कर गया इससे यह संभावना व्यक्त की जा रही है की मुनि संघ छुई खदान से कवर्धा होते हुए अमरकंटक जाएंगे जहां भव्य जैन मंदिर का निर्माण हो रहा है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को विद्याधर के रूप में कर्नाटक राज्य के बेलगांव जिले के सदलगा में शरद पूर्णिमा के दिन हुआ उनके पिता श्री मल्लप्पा थे जो बाद में मुनि मल्लिसागर बने कन्नड़ भाषा में हाईस्कूल तक अध्ययन करने के पश्चात विद्याधर ने 1967 में आचार्य देशभूषण जी महाराज से ब्रम्हचर्य व्रत लिया इसके पश्चात जो कठिन साधना का दौर शुरू हुआ तो आचार्य ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा ।
ठंड बरसात और गर्मी से विचलित हुए बिना आचार्य श्री ने कठिन तप किया उनका त्याग और तपोबल आज किसी से छिपा नहीं है इसी तपोबल के कारण सारी दुनिया उनके आगे नतमस्तक हैं। आचार्य श्री को स्वाध्याय चिंतन मनन एवं तपश चरण के साथ ही साथ सतत लेखन का अनुभव है हिंदी संस्कृत में प्रकाशित प्रमुख रचनाएं नर्मदा का नरम कंकर, डूबो मत लगाओ डुबकी, तोता रोता क्यों, मूक माटी आदि काव्य कृतियां गुरु वाणी प्रवचन- परिजात प्रवचन-प्रमेय आदि प्रवचन संग्रह, आचार्य कुंदकुंद के समय सागर नियमसार प्रवचनसार तथा जैन गीता आदि ग्रंथों का पक्षानुवाद संत काव्य की परंपरा में राष्ट्रीय स्तर की ख्याति उन्हें दिलाई।
आचार्य श्री के प्रवचन मुख्य अंश ( ग्रह उनको ही लगते हैं जिन पर परिग्रह होता है) ( तन के अनुरूप ही मन का नग्न होना आकिंचन है) ( शिक्षक कभी साधारण नहीं होता प्रलय और निर्माण उसकी गोद में पलते हैं) लोगों के अंतर्मन को छू ले लेते है। लगभग 19 वर्ष पूर्व छुईखदान नगर में आचार्य श्री का प्रथम आगमन हुआ था तब आचार्य श्री ने छुई खदान नगर को ‘सात्विक नगर’ की संज्ञा दी थी वही ‘सात्विक नगर’ उनके आगमन का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।
दीपक जैन, वरिष्ठ पत्रकार, छुईखदान