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Fri. Oct 4th, 2024

जब पुण्य का उदय होता है तब होता है ऐसा अनुष्ठान: पं. रामप्रताप शास्त्री

जब पुण्य का उदय होता है तब होता है ऐसा अनुष्ठान: पं. रामप्रताप शास्त्री
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🔴 भागवत कथा सुनने से मिट जाते जीवन के सारे पाप

छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 गंडई पंडरिया// मां गंगई की पावन नगरी गंडई स्थित टीकरीपारा में स्व. लीलाधर देवांगन स्व. कुणाल देवांगन के पावन पुण्य स्मृति में समाजसेवी कल्लूराम देवांगन , जनक देवांगन, समीर देवांगन, एवम सह परिवार के शुभ संकल्प से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन विख्यात कथावाचक आचार्य रामप्रताप शास्त्री जी महाराज ( कोविद ) ने कहा कि जन्म-जन्मांतर एवं युग-युगांतर में जब पुण्य का उदय होता है तब ऐसा अनुष्ठान होता है।

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 श्रीमद्भागवत कथा एक अमर कथा है। इसे सुनने से पापी भी पाप मुक्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वेदों का सार युगों-युगों से मानवजाति तक पहुंचाता रहा है। भागवतपुराण उसी सनातन ज्ञान की पयस्विनी है, जो वेदों से प्रवाहित होती चली आई है। इसलिए भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है।

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उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण का बखान किया और कहा कि सबसे पहले सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित को भागवत कथा सुनाई थी, उन्हें सात दिनों के अंदर तक्षक के दंश से मृत्यु का श्राप मिला था। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा अमृत पान करने से संपूर्ण पापों का नाश होता है।

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पूज्य शास्त्री ने कथा ने बताया कि विश्व में सभी कथाओं में ये श्रेष्ठ मानी गई है। जिस स्थान पर इस कथा का आयोजन होता है, वो तीर्थ स्थल कहलाता है और ये स्थान तो वास्तविक रूप में हरिद्वार ही बन गया है जहा भगवान बालकृष्ण के साथ भगवान चंद्रमौलेश्वर एवम द्वादश ज्योतिर्लिंग भी विराजमान है और प्रगट रूप में भगवान की कथा रूपी गंगा भी प्रवाहित हो रही है अर्थात आपका ये गंडई क्षेत्र अभी अभी हरिद्वार ही प्रतीत हो रहा है।जब पुण्य का उदय होता है तब होता है ऐसा अनुष्ठान: पं. रामप्रताप शास्त्री

इसको सुनने एवं आयोजन कराने का सौभाग्य भी प्रभु प्रेमियों को ही मिलता है। ऐसे में अगर कोई दूसरा अन्य भी इसे गलती से भी श्रवण कर लेता है, तो भी वो कई पापों से मुक्ति पा लेता है। इसलिए सात दिन तक चलने वाली इस पवित्र कथा को श्रवण करके अपने जीवन को सुधारने का मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए।

कथा सुनने समय अवश्य निकाले..

अगर कोई सात तक किसी व्यस्तता के कारण नहीं सुन सकता है, तो वह दो तीन या चार दिन ही इसे सुनने के लिए अपना समय अवश्य निकाले तब भी वो इसका फल प्राप्त करता है, क्योंकि ये कथा भगवान श्री कृष्ण के मुख की वाणी है, जिसमें उनके अवतार से लेकर कंस वध का प्रसंग का उल्लेख होने के साथ-साथ इसकी व्यक्ति के जीवन में महत्ता के बारे में भी बताया गया है।


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रिपोर्ट : रोहित देवांगन ,गंडई
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