अक्सर पेरेंट्स बच्चों को हिदायत देते हैं कि झूठ नहीं बोलना चाहिए, लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं। हाल ही में हुई स्टडी में सामने आया कि पेरेंट्स बच्चों से वह सुनना पसंद करते हैं जो वे चाहते हैं। कई बार सच बोलने पर पेरेंट्स सख्ती से पेश आते हैं। इस स्थिति में अपने पेरेंट्स को देखकर बच्चे झूठ को घुमा-फिरा कर बोलना सीख जाते हैं, ताकि उनके पेरेंट्स को अच्छा लगे। Study
बच्चों को झूठ बोलने पर मिलता है रिवाॅर्ड
इस तरह के झूठ को घुमा-फिराकर बोलने पर उन्हें रिवाॅर्ड मिलता है। उदाहरण के तौर कोई व्यक्ति पूछता है कि तुम्हारे पेरेंट्स कहां है। इस पर सत्यवादी बच्चा जवाब देगा कि पोर्च के नीचे हैं, लेकिन झूठ बोलने और घुमा फिराकर कहने वाला बच्चा बोलेगा वे लाइब्रेरी तक गए हैं। Study
वह यह नहीं बताएगा कि लाइब्रेरी घर के पोर्च के नीचे ही है। बच्चे के भावनात्मक विकास में झूठ बोलना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो मन के सिद्धांत या यह समझने की क्षमता का संकेत देता है कि अन्य लोगों के विचार, इच्छाएं या आवश्यकताएं अलग-अलग हैं।
घुमा-फिराकर सच्चाई पेश करने से सजा का जोखिम कम
बच्चे विसंगति को समझ सकते हैं। अधिकांश बच्चों को स्पष्ट रूप से झूठ बोलना नहीं सिखाया जाता है, लेकिन उनके माता-पिता की प्रतिक्रियाएं उन्हें सिखा सकती हैं कि सच्चाई को तोड़-मरोड़कर पेश करने में कम जोखिम होता है।
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