पाली// राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बच्चों के इंटरनेट एक्सेसिबिलिटी के साथ मोबाइल फोन और अन्य उपकरणों का उपयोग करने के प्रभाव पर अध्ययन किया है। National Commission for Protection of Child Rights
इसमें शरीरिक, व्यावहारिक और मानसिक-सामाजिक प्रभाव शामिल हैं। इसके अनुसार 23.80% बच्चे सोने से पहले स्मार्ट फोन का उपयोग करते हैं। यह प्रवृत्ति आयु बढ़ने के साथ बढ़ जाती है। 37.15% बच्चे स्मार्ट फोन के उपयोग के कारण बार-बार एकाग्रता के स्तर पर कमी महसूस करते हैं। #smart phon
इस रिपोर्ट को हाल में ही इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने राज्यसभा में पटल पर रखा है। इसमें यह भी बताया कि अधिक से अधिक भारतीयों के ऑनलाइन आने के साथ ही आपत्तिजनक सामग्री के संपर्क में आने की भी संख्या बढ़ी है#smart phon।.
विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा करने से बचें
मनोचिकित्सक की कगना है की बच्चे स्मार्ट फोन का उपयोग अधिक करने लगे हैं जो शारीरिक व मानसिक रूप से खतरनाक है। छोटे बच्चे खाना नहीं खाते तो माता-पिता मोबाइल फोन देकर खाना खिलाते है, यहीं से आदत लग जाती है। परिजन को चाहिए की बच्चों पर नजर रखें, बच्चों को मोबाइल फोन से दूर रखे। National Commission for Protection of Child Rights.
मोबाइल फोन के अधिक उपयोग से बच्चे झगड़ालू चिड़चिड़े व अनिद्रा जैसी बीमारियों के हो रहे शिकार
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कई बार मां-बाप बच्चे का ध्यान हटाने या फिर उन्हें लालच के तौर पर भी फोन पकड़ा देते हैं। इससे बच्चों पर बुरा असर पड़ता है।
sabhar: patrika
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