छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 रायपुर // पंडित प्रदीप मिश्रा ने आज एक बार फिर युवतियों को सीख देते हुए कहा कि लड़का तुम्हें अपनी प्रेम जाल में फंसाने के लिए यह कहता है कि मैंने तुम्हें नाम का टैटू अपने हाथ में गोदवा लिया है। वह लड़की मुर्ख है, उसे यह कहना चाहिए कि उसके पास जो प्रॉपर्टी है उसे मेरे नाम कर दो, वह एक बार में नाकार देगा क्योंकि उसके पास पेट्रोल डालने के लिए 100 रुपये तक नहीं रहता है। तुम सिर्फ भोलेनाथ से यह कहो कि न हम चांद, सूरज व तारे ला सकते है, हमारे पास कुछ नहीं हैं भोलेनाथ, आप ने हमें जन्म दिया है वह सब आपको समर्पित है और मेरा दिल आपके लिए है और तुम्हें करोड़ों की प्रापर्टी मिल जाएगी। Pandit Pradeep Mishra
मंदिर के दीए एकत्र करने से हो जाएगा पितृदोष दूर
प्रदीप मिश्रा ने कहा कि हम जब भी मंदिर जाते हैं तो कहीं पर भी दीए जला देते हैं और उसे वहीं छोड़कर आ जाते है। लेकिन इन छोड़े हुए दीए का महत्व बहुत बड़ा है। शंकर जी का मंदिर हम गए हैं और हमारे पास चढ़ाने के लिए कुछ भी नहीं हैं तो जले हुए दीए जिनका ज्योति विसर्जित हो गया है. उसे एकत्र कर एक जगह रख दें. और भगवान शंकर जी को प्रणाम कर वापस आ जाएं और आपके मस्तिक पर जो पितृदोष था वह दूर हो जाएगा। Pandit Pradeep Mishra
मृत बच्चा सोता हैं मां पार्वती की गोद में
छोटे बच्चों का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता हैं उन्हें दफनाया जाता है। इसी तरह रुक्मिणी जी के 8 बच्चे को जमीन पर दफनाया गया था। लेकिन रुक्मिणी जी ने एक अच्छा कार्य किया था वह प्रतिदिन भगवान शिव के मंदिर जाती थी और वहां जले हुए दीयो को एकत्रित करके एक जगह पर रख देती थी। लेकिन आठ पुत्रों के बार-बार निधन होने से वह काफी दुखी थी और रो रही थी और भगवान शिव से वेदना कर रही थी। आंसू चार प्रकार के होते हैं – विडम्बना, वेदना, विरह और वंदना। Pandit Pradeep Mishra
तब भगवान शिव वहां प्रकट हुए रुक्मिणी से कहा कि जहां पर तुमने अपने आठवें पुत्र को दफनाया हैं वहां पर जाकर फिर से खोदो और तुम्हें वहां तुम्हारा आठवां पुत्र जीवित मिलेगा। इसलिए तो बड़ों को श्मशान घाट में जलाया जाता हैं जहां भगवान शिव रहते हैं और छोटे बच्चों को दफनाया जाता है. वहां वह माँ पार्वती की गोद में सोया रहता है उस स्थान को गौरी कहा जाता है। इसलिए तो कहते हैं देवता पल्ला झाड़ देते है लेकिन महादेव देते है तो छप्पड़ फाड़कर। इसलिए रुक्मिणी के आठवें बेटे का नाम गोराकुमार रखा गया। Pandit Pradeep Mishra