अगहन बृहस्पति में माता लक्ष्मी की उपासना से परिवार मे आती है सुख- समृद्धि..करें इस विधान से पूजा..
हिंदू पंचांग के 12 महीनों में किसी ना किसी देवी-देवता की पूजा करने का विधान है। प्रत्येक महीने घर-घर में और मंदिरों में भक्तिभाव का माहौल छाया रहता है। छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार को महालक्ष्मी का पूजन करने की परंपरा है। अगहन माह में गुरुवार के दिन हर घर में मां लक्ष्मी की स्थापना कर विधि-विधान से पूजन द्वार को दीपों से रोशन किया जाता है। अगहन मास में गुरुवार को लक्ष्मी जी की व्रत पूजा से सुख, संपत्ति और ऐश्वर्य प्राप्ति के साथ मन की इच्छा पूरी होती है।
पदमपुराण में यह व्रत गृहस्तजनों के लिए फल कारक बताया गया है। इस पूजा को पति पत्नी मिलकर भी कर सकते हैं। अगर किसी कारण पूजा में बाधा आए तो औरों से पूजा करवा लेनी चाहिए पर खुद उपवास अवश्य करें।अगर किसी दूसरी पूजा का उपवास गुरुवार को आए तो भी यह पूजा की जा सकती है। दिन या रात में भी पूजा की जा सकती है। दिन में उपवास करें तथा रात में पूजा के बाद भोजन किया जा सकता है। Agahan Month Lakshmi Puja
बुधवार को रंगोली सजाकर आमंत्रण देने की परंपरा
अगहन माह के गुरुवार से एक दिन पूर्व बुधवार को ही महिलाएं अपने घर के मुख्य द्वार, आंगन में आटे से आकर्षक रंगोली सजाकर, पूजा घर में कलश और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर माता को पधारने का आमंत्रण देने की रस्म निभाई जाती है।
प्रत्येक सप्ताह माता को चढ़ता है अलग-अलग व्यंजन..कथा सुनते आस -पड़ोस के लोग भी
अगहन बृहस्पति (गुरुवार) के इस व्रत मे गृहस्थ जीवन मे सुख समृद्धि की कामना लिए प्रति गुरुवार को माता को अलग-अलग व्यंजनों चढ़ाया जाता है। माता को चढ़ने वाले यह भोग यथा शक्ति- भक्ति अनुसार हो सकती है। वही व्रत मे पूजा के बाद कथा सुनाई जाती है जिसको सुनने के लिए अपने आस -पड़ोस के लोगों को, रिश्तेदारो को तथा घर के लोगों को बुलाएं व्रत कथा को पढ़ते समय शान्ति तथा एकाग्रता रखें। Agahan Month Lakshmi Puja
ब्रह्म मुहूर्त से ही शुरू हो जाता है माता लक्ष्मी पूजा
अगहन बृहस्पति (गुरुवार) को सुबह ब्रह्म मुहूर्त से ही स्नान ध्यान कर दिनभर व्रत रखने का संकल्प ले माता लक्ष्मी की भक्तिभाव के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। दोपहर में विशेष प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। और शाम को पुन: पूजा करके प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारणा करेंगी। ऐसी मान्यता है कि अगहन महीने के गुरुवारी पूजा में माता लक्ष्मी को प्रत्येक गुरुवार को अलग-अलग व्यंजनों का भोग लगाने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही पूजा मे आंवला, आम के डँगाल धान की बालियाँ भी चढ़ाई जाती है। Agahan Month Lakshmi Puja
दिन में तीन बार पूजा का है महत्व
बुधवार की शाम मां लक्ष्मी को आमंत्रण देने के पश्चात महिलाएं गुरुवार को सूर्योदय से पूर्व स्नान करेंगी। व्रत रखने का संकल्प लेकर मुख्य द्वार पर दीप प्रज्ज्वलित करेंगी। दोपहर 12 बजे चावल की खीर, अनरसा, बबरा, चावल का चीला आदि व्यंजनों का भोग लगाएंगी। शाम को पुन: पूजा-अर्चना कर प्रसाद ग्रहण करके व्रत का पारणा करती है। Agahan Month Lakshmi Puja
इस विधि से करें अगहन बृहस्पति व्रत पूजा
हर कोई अपनी शक्ति और भक्ति से पूजा कर सकते हैं। एक दिन पूर्व ही घर को गोबर से लेप कर ले या फिर गीले कपड़े से पोछ लें। इसके बाद एक ऊँचे पीढे या चौकी पर या छोटे मेज पर बीच में थोड़े गेहूँ या चावल रख का एक साफ सुथरे ताँबे या पीतल या फिर कांसे के लोटे को पानी से भर कर चावल या गेहूँ पर रखें, पानी में सुपारी, कुछ पैसे और दुब (दूर्वा घास) डाले। ऊपर से लोटे में चारों तरफ पाँच आम के पांच या सात पत्ते डाल कर बीचों बीच एक नारियल रखें, और लोटे पर हल्दी- कुमकुम लगाएं और साथ ही उस लोटे के गले में लोटे के हिसाब से मौली धागा बाँध दे और नारियल के ऊपर एक छोटी चुनरी भी चढ़ा देवें साथ ही देवी की प्रतिमा या फोटो को पूर्व दिशा में मुँह करके या उत्तर दिशा में मुँह करके स्थापना करनी चाहिए। इस व्रत कथा की पुस्तक में जो फोटो हैं उसे भी सामने रखें तथा पूजा प्रारंभ करें। पूजा की समाप्ति पर फल प्रसाद वितरण किया जाता है। पुरुषों को भी इस व्रत कथा को पढ़ना चाहिए। जिस दिन व्रत हो, उपवास करे, दूध, फलाहार करें। खाली पेट न रहे, रात को भोजन से पहले देवी को भोग लगाएं एवं परिवार के साथ भोजन करें। Agahan Month Lakshmi Puja
घर पधारतीं हैं मां लक्ष्मीभगवताचार्य सुदर्शन तिवारी के अनुसार ऐसी मान्यता है कि अगहन माह में महालक्ष्मी को विधिवत आमंत्रित कर पूजा, अर्चना की जाए तो मां लक्ष्मी स्थायी रूप से उस घर में निवास करतीं हैं। मां लक्ष्मी का पूजन, व्रत करने से परिवार में सुख, समृद्धि बढ़ती है। माता को आमंत्रित करने के लिए मुख्य द्वार से लेकर पूजा घर तक चावल के आटे को घोलकर मां लक्ष्मी के पदचिन्ह अंकित करना चाहिए। |
नोट : इस व्रत की पूजा विधि मे क्षेत्र अनुसार भी कुछ बदलाव देखा जा सकता है।
माता लक्ष्मी की करें आरती..
ॐ जय लक्ष्मी माता (Laxmi Ji Aarti Lyrics In Hindi)
इस मंत्र के साथ करें आरती..
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि । हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे । सर्वभूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥ |
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता (Laxmi Ji Aarti Lyrics In Hindi)
Make Maa Lakshmi happy with this Aarti. Worshiping Goddess Lakshmi on Aghan Brihaspati brings happiness and prosperity in the family..do the puja with this method..