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शर्मनाक: प्राचार्य कक्ष में महिला व्याख्याता के साथ अश्लील हरकत, जांच में दोषी पाए गए शिक्षक पर डीईओ कार्यालय चुप! थक-हार कर महिला खुद पहुंची थाने

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छत्तीसगढ़ खबर डेस्क खबर 24×7 खैरागढ़। परीक्षा ड्यूटी के दौरान प्राचार्य कक्ष में महिला व्याख्याता को गंदी नियत से स्पर्श कर अश्लील हरकत की गई। इस घटना को 4 माह हो गए। मामला खैरागढ़ विकासखंड अंतर्गत ग्राम चिचोला हायर सेकंडरी स्कूल का है। शिक्षक की गरिमा और मर्यादा को तार-तार करने वाला वह शख्स कोई और नहीं बल्कि उसी स्कूल में व्याख्याता पद पर पदस्थ आरोपी नरेश कुमार हरिहारनो है। पीड़िता ने अपनी व्यथा सिस्टम में बैठे सभी जिम्मेदारों को सुनाई। लिखित में शिकायत भी दर्ज कराई। जांच कमेटी बनाई गई। जांच रिपोर्ट में महिला की शिकायत सही पाई गई। आरोपी दोषी करार दिया गया। इसके बाद भी हवस में अंधे व्याख्यात का बाल भी बांका न हो सका। क्योंकि राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर इस मामले पर कड़ी कार्रवाई करने की बजाय मामले को शांत करने का प्रयास किया गया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार घटना 2 मार्च की है। पीड़िता व्याख्याता परीक्षा केंद्र प्रभारी की अनुमति लेकर दवाई खाने प्राचार्य कक्ष में गई। वहां पहले से नरेश हरिहारनों मौजूद था। पीड़िता दवाई ली और रूम से बाहर जाने लगी। तभी आरोपी नरेश ने उसे रोक लिया। और चूमने की कोशश की। यह बात पीड़िता ने स्कूल के प्राचार्य और अन्य स्टॉफ को बताई। दूसरे दिन पीड़िता की शिकायत पर स्कूल में मीटिंग बुलाई गई। आरोपी ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए लिखित में माफीनामा दिया। माफीनामा के बाद भी नरेश हरिहारनो की गंदी नजरे और हरकते थमी नहीं। पीड़िता ने इसकी शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में की। छुईखदान हायर सेकंडरी स्कूल की प्राचार्य भारती रजक को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। 26 पेज की जांच रिपोर्ट तैयार की गई।

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जांच रिपोर्ट में आरोपी व्याख्याता पर लगे आरोपों को सही पाया गया। इसके बाद भी आरोपी शिक्षक के खिलाफ विभाग ने कड़ी कार्रवाई में देरी कर मामले को शांत करने का प्रयास किया। आखिरकार थक हार कार पीड़िता स्वयं ठेलकाडीह थाने पहुंची और आरोपी के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराया।

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जांच में दोषी पाए जाने के बाद जो कार्य विभाग को करना था, वह स्वयं पीड़िता को करनी पड़ी। यानी विभाग के जिम्मेदारों ने महिला को न्याय दिलाने में कहीं न कहीं कोताही बरती है। इस बीच महिला व्याख्याता ने जो मानसिक वेदना सहा है, उसकी कीमत तभी चुकाई जा सकती है जब महिला को न्याय मिले और आरोपी को सजा।

इस मामले में क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य विप्लव साहू ने कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने बयान जार कर कहा कि विद्यालय प्रशासन, शिक्षा विभाग और कानून से जुड़े कदमों पर बड़ा सवालिया निशान लग गया है। बच्चों, विद्यालय, अंचल और समाज व्यवस्था के लिए अनैतिकता और शर्मिंदगी का बड़ा वातावरण बना दिया है जिसकी भरपाई करना काफी कठिन है।


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बोर्ड परीक्षा के समय शिक्षक नरेश हरिहरनो द्वारा पीड़ित शिक्षिका के साथ अपराधपूर्ण दुर्व्यवहार किया गया। इस घटनाक्रम के तुरंत बाद दूसरे दिन आनन-फानन में प्राचार्य आत्माराम साहू द्वारा तरह-तरह के बातों से शिक्षिका की बिगड़ी हुई मानसिक स्थिति पर और दबाव बनाकर जबरदस्ती माफीनामा बनवाकर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया गया। जबकि उन्हें तो तत्काल अपने उच्च अधिकारी को इसकी जानकारी देनी थी।

माफीनामे की नौटंकी के बाद भी लगातार आरोपी नरेश कुमार हरीहरनो को संरक्षण देते हुए प्राचार्य द्वारा मिलकर उलाहना देने, मख़ौल उड़ाने के अंदाज में प्रताड़ित किये जाने और मानसिक क्षति पहुंचाने की घटना होती रही। शिक्षिका ने लगातार मानसिक दबाव और क्षति को देखते हुए प्रभारी प्राचार्य को आगे कार्यवाही के लिए कहा, अंततः न चाहते हुए भी प्रभारी प्राचार्य द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित शिकायत दी गई। जांच कमेटी द्वारा सारी चींजे सही पाए जाने के बावजूद आज 3 महीने बाद भी उस शिक्षक और प्रिंसिपल पर विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया जाना हैरान, परेशान और गहरा निराश करने वाला है।

जिला पंचायत सदस्य विप्लव साहू ने ग्राम चिचोला का दौरा किया। सरपंच और शाला विकास समिति के अध्यक्ष के साथ ग्रामीणों से मुलाकात करके स्थानीय पहलुओं को जाना और कहा कि जिम्मेदार प्रशासन को शर्म आनी चाहिये कि विभाग ने इतने गंभीर मसले पर नियम और कानून के मुताबिक कार्य नही किया। आरोपी शिक्षक जिसने शाला प्रबंधन के सामने स्वयं शर्मनाक अपराध करना कुबूल किया है, जो कि राज्य सिविल सेवा आचरण के विरुद्ध आता है।

विभाग अविलंब दोषियों पर कार्यवाही करें। अभी इस विषय की गतिविधियों, प्रशासन और पुलिस के कदम को देखेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षकीय व्यवस्थापकों द्वारा ही इस गंदे उदाहरण पर हम अपने समाज, नयी पीढ़ी और अध्ययनरत छात्रों को क्या मुंह दिखाएंगे! हमें हमारी ही व्यवस्था पर शर्म आ रही है। सभी दोषियों पर सख्त कार्यवाही करके ही हम समाज के सामने उदाहरण कर पाएंगे।

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शिक्षक ही सुरक्षित नहीं, तो बच्चों का क्या होगा- विप्लव साहू

विद्यालय में जहां पर महिला शिक्षिकाएं ही सुरक्षित नही है, वहां पर पदस्थ ऐसे शिक्षक कमजोर, अबोध, अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को सुरक्षित रखने की कैसे गारंटी दे सकता है! आत्माराम साहू का प्रभारी प्राचार्य पद पर बने रहना, जिला शिक्षा अधिकारी और विभाग की कार्य प्रणाली पर बड़े सवाल खड़े करता है। जबकि शाला में उनसे उच्च नियमित और सीनियर व्याख्याता मौजूद हैं।

गांववालों, विद्यालय परिवार और छात्र-छात्राओं में पीड़ित महिला शिक्षिका के अध्यापन कार्य मैं कोई त्रुटि नहीं बताई गई। जबकि वहां पर पदस्थ प्राचार्य आत्माराम साहू और नरेश हरिहरनो काफी अनियमिता बताए जाते हैं। शाला विकास समिति के अध्यक्ष, सरपंच और अन्यों के द्वारा प्राचार्य को विद्यालय की गतिविधि, आय-व्यय के ब्यौरे, रवैये में सुधार आदि पर ताकीद किये जाने पर प्रतिनिधियों के साथ ही प्राचार्य द्वारा बुरा व्यवहार किए जाने की शिकायत मिली है।



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